आधा दर्जन के करीब मौतों से भी विभाग नहीं ले रहा सबक
हर रोज करीब 20 से 25 लग रहे अघोषित कट
बडूखर/ अश्विनी चौधरी
विद्युत उप मंडल रे के अंतर्गत विद्युत व्यवस्था इस हद तक गर्त में जा चुकी है कि इसको ठीक करने के लिए शायद अब स्वयं भगवान को ही धरती पर अवतार लेना पड़े। जगह जगह लटकी तारें कभी पेड़ों के सहारे कभी डंडो के सहारे इस बात की ओर इशारा करती हैं कि दाल में कुछ काला होने की बजाय पूरी दाल ही काली है।
पिछले लगभग 1 साल में विद्युत अव्यवस्था के कारण 5 लोगों की जान उपमंडल विद्युत रे लील चुका है। जिसमें विद्युत विभाग के कर्मचारी भी विद्युत की चपेट में आने से अपनी जान गवा चुके हैं। चंद रोज पहले ही एक व्यक्ति की भोजपुर में ट्रांसफार्मर की चपेट में आने से मौत हो चुकी है जबकि बुधवार को भोजपुर गांव में ही एक ही परिवार के चार लोग बिजली की चपेट में आ गए थे गनीमत यह रही कि किसी तरह वह अपनी जान बचाने में सफल रहे जिनका अभी भी अस्पताल में इलाज चल रहा है।
विद्युत उप मंडल रे मे पिछले 1 साल में लगभग 5 बार सहायक अभियंता बदले जा चुके हैं 4 महीने तक पद खाली रहने के बाद दो रोज पहले ही नए सहायक अभियंता ने ज्वाइन किया है।
इतनी अव्यवस्था के आलम में कोई भी विभागीय अधिकारी यहां पर आना ही नहीं चाहता और अगर कहीं उसकी ट्रांसफर इस उपमंडल में हो जाए तो वह अपना पूरा जोर यहां से कहीं अन्यत्र स्थानांतरित होने में ही लगाता रहता है।
इस समय किसानों को अपने खेतों में धान की फसल के लिए सबसे अधिक बिजली की आवश्यकता है जबकि इसके ठीक उलट 24 घंटे बिजली देने की बजाय विद्युत विभाग बड़ी मुश्किल से 8 से 10 घंटे भी बड़ी मुश्किल से बिजली उपलब्ध करवा पा रहा है और कई जगह ऐसी भी है जहां पर विभाग के कर्मचारी आम जनमानस को 2 दिन तक अंधेरे में ही रखते हैं। प्रतिदिन दर्जनों कट लगने के कारण किसान बागवान व्यापारी दुकानदार छोटे बच्चे वह बीमार व्यक्ति खा से परेशान है। 1 दिन में 20 से 25 कट लगना आम बात हो चुकी है अब तो हालात इस कदर व्यापक है कि धरती पर रहने वाले इंसान की बजाए भगवान से ही शायद गुहार लगाना पड़ेगी।
कई बार अक्सर रात को खाना खाने के समय विद्युत कट जाती है और सुबह 7:00 बजे के बाद ही विद्युत व्यवस्था बड़ी मुश्किल से बहाल हो पाती है।
पिछले साल गर्मियों में समाचार पत्रों में छपी खबरों का यह असर हुआ कि इस बार काफी हद तक नए ट्रांसफार्मर लगाए जा चुके हैं और कुछ को अधिक क्षमता के साथ बदला गया है लेकिन धरातल पर विद्युत लाइनों का रखरखाव शायद ही कभी किया जाता हो ऐसा लोगों का मानना है।
मंड क्षेत्र में ग्राम पंचायत रियाली मैं ऐसी कई जगह है जहां पर विद्युत की तारे जमीन से मात्र 5 से 7 फुट तक लटकी हुई दिखाई देती है जो कभी भी किसी बड़े हादसे का सबब बन सकती हैं। ऐसे कई विद्युत खंभे टूटे हुए हैं जिन्हें जोड़कर या साइड में लोहे की रोड डालकर कस दिया जाता है।
उपमंडल रे के अंतर्गत ऐसे अनेक ट्रांसफार्मर देखने को मिल जाएंगे जहां पर ना तो उनकी तारबंदी की गई है नाही जहां पर फ्यूज डाला जाता है वहां कोई सुरक्षा का इंतजाम किया गया है, यहां तक की खुली तारे जमीन से मात्र 2 फुट होने के चलते हमेशा किसी बड़े हादसे को न्योता देती प्रतीत होती हैं।
कुछ समय पूर्व ऐसा ही एक हादसा बडूखर बाजार में हुआ था जिसमें एक इकलौते युवा की जान करंट लगने से हुई थी।
ऐसे अनेकों हादसों से सबक न लेकर आज भी व्यवस्था यूं ही बरकरार है, आखिर कब तक आम जनमानस सुविधा के लिए लगाए गए इन खंभों के साथ अव्यवस्थित ढंग से लटकी तारों की चपेट में आने से अपनी जान गवाता रहेगा? यह एक यक्ष प्रश्न क्षेत्र के लोगों के दिमाग में में हमेशा बना हुआ है।
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