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बचपन से देखता आया कि मेरे चाचा और अन्य रिश्तेदार सिगरेट और शराब का सेवन करते

                नशे के लिए दोस्तों ने बढ़ाया हाथ, नौकरी और पत्नी से छूटा साथ, गंवा दिए 10 साल

ऊना,रिपोर्ट अविनाश चौहान 

बचपन से देखता आया कि मेरे चाचा और अन्य रिश्तेदार सिगरेट और शराब का सेवन करते थे। फिर मैंने एक हिंदी फिल्म देखी। इसमें एक शराब पीने वाले किरदार को कितना रौबदार दिखाया है। मुझ पर इसका गहरा असर पड़ा। इसके बाद यार दोस्त ऐसे मिल गए जो कहते थे। आओ सिगरेट पीते हैं। एक सिगरेट से क्या होगा।

मैंने सोचा पिता जी भी तो पीते हैं, इससे थोड़ी कुछ होता है। वहां से मेरे जीवन में नशे का दलदल शुरू हुआ और मैं इसमें धंसता ही चला गया। अब जब बाहर निकला तो जीवन का अहम हिस्सा गंवा चुका है। नशे के कारण पत्नी से तलाक हो गया और अब माता-पिता का इकलौता सहारा हूं। ऊना शहर में रहने वाले एक एमटेक पास युवक का यह कहना है।इसने बताया कि पिता सरकारी अधिकारी थे। स्कूल में था तो 11वीं और 12वीं में सिगरेट पीना शुरू किया। इसके बाद पंजाब के प्रसिद्ध इंजीनियरिंग कॉलेज में बीटेक करने चला गया। वहां गलत काम करने पर कोई रोकने वाला नहीं था। दोस्तों के साथ कभी-कभार नशा करना शुरू कर दिया। फिर सप्ताह में एक बार और कब प्रतिदिन नशा करने पर आ गए पता नहीं चला।

यही सोचता था कि घर के आसपास भी कई लोग नशा करते हैं, उन्हें तो कुछ नहीं हुआ। एमटेक पूरी होने पर मेरी नौकरी अफ्रीका में एक प्रसिद्ध मोबाइल कंपनी में लगी। मेरे पास करीब सात अफ्रीकन देशों का कार्यभार था। इस दौरान मेरी शादी भी हुई। अफ्रीका में तो नशे की भरमार थी। दिन में भी लोग नशा करते थे।मैं सुबह और शाम नशे में रहने लगा। वहां से जब वापस भारत लौटा तो यहां दिन में नशा ढूंढना और करना आसान नहीं था, लेकिन नशे की लत ऐसी थी कि मैं घर आकर दिन में नशा करने लगा। नशे में रहने के कारण पत्नी से झगड़े होने लगे और अंततः तलाक हो गया। इसके बाद माता-पिता ने मेरा हाथ थामा और मेरी लत को छुड़वाने के लिए नशा छुड़ाओ केंद्र में संपर्क किया। वहां हमें बताया गया कि एक नशेड़ी और अच्छे जीवन में अंतर क्या है। पूरा दिन किस प्रकार की गतिविधियों में बिताना और नशे से कैसे बचकर रहना, यह हमें सिखाया गया। 

करीब चार महीने लगे और नशे के बिना जीवन बेहतर लगने लगा। अफसोस है कि मुझे यह समझने में अपनी जीवन के 10 साल गंवाने पड़े की नशा मेरी जिंदगी बर्बाद कर रहा है। आज मैं ऊना अस्पताल में प्रतिदिन लगने वाले लंगर में सेवा करता हूं और अपनी दिनचर्या अच्छे तरीके से जी रहा हूं। मेरे माता-पिता भी मुझे देखकर खुश हैं। युवक ने कहा कि नशा किसी भी प्रकार का हो यह हमारा मानसिक स्वास्थ्य खराब करता है। हमारी युवा पीढ़ी को सबसे अधिक इससे बचाने की आवश्यकता है।





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