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कश्मीर से अवैध तरीके से आ रहे सेब के पांच हज़ार पौधे किए नष्ट

                                      कश्मीर से गैर कानूनी तरीके से सेब नर्सरियों की पौध रही पहुंच 

शिमला,ब्यूरो रिपोर्ट 

हिमाचल प्रदेश में कश्मीर से गैर कानूनी तरीके से सेब नर्सरियों की पौध पहुंच रही है। अवैध पौध के सप्लायर नर्सरी एक्ट की धज्जियां उड़ा रहे हैं। ट्रकों और पिकअप में सेब के पौधे आ रहे हैं और इस पर कोई भी रोकटोक नहीं है। सेब की पौध के इस तरह से लाए जाने से प्रदेश में वायरस आने का खतरा भी बढ़ रहा है। स्थानीय नर्सरी उत्पादकों को भी इससे नुकसान हो रहा है। गैर कानूनी तरीके ने राज्य में सेब की पौध गैर कानूनी तरीके से बेचने पर कैद और जुर्माने का प्रावधान है।

लंबे समय तक चली सूखे जैसी स्थिति के बाद बारिश और बर्फबारी हुई तो अब राज्य के सेब बागवानों ने पौधरोपण शुरू कर दिया। राज्य के पंजीकृत नर्सरी उत्पादकों में भी इससे इस बार पौध बेच पाने की उम्मीद बढ़ गई, मगर इसी के साथ ही जम्मू-कश्मीर से सेब के पौधे राज्य में लाए जा रहे हैं। इन पौधों के साथ न तो इनके रोग रहित या वायरस रहित होने के क्वारंटीन प्रमाणपत्र लाए जा रहे हैं और न ही इन्हें यहां पर चेक किया जा रहा है। कुछ क्षेत्रों में इस तरह की पौध को नष्ट किया गया है, मगर कई क्षेत्रों में इसकी बड़ी खेप पहुंच चुकी है।

शिमला की ग्राम पंचायत कमाह के जाने-माने बागवान कुलदीप कांत शर्मा ने कहा कि कश्मीर से आ रही पौध बगैर लाइसेंस से कैसे हिमाचल की सीमाओं में पहुंच रही है। सरकार को इसे देखना चाहिए। अवैध तरीके से राज्य में लाए जा रहे सेब के पौधों के साथ वायरस और बीमारियां भी तो आ सकती हैं। यह सही तरीके से आनी चाहिए और बाजार में नहीं बेची जानी चाहिए। अगर कहीं भी ऐसा होता है तो इस पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।वहीं, राज्य बागवानी विभाग के निदेशक विनय सिंह ने कहा कि बागवान गैर कानूनी तरीके से सेब की पौध के हिमाचल प्रदेश में आने की सूचना विभाग को दे। ऐसे मामलों पर तत्काल कानूनन कार्रवाई की जाएगी। वह इस संबंध में फील्ड से रिपोर्ट लेंगे।बाहरी राज्य से अवैध रूप से करसोग लाए गए सेब के लगभग पांच हजार पौधों को उद्यान विभाग की टीम ने चुराग स्थित विभागीय कार्यालय में नियमानुसार आग लगाकर नष्ट कर दिया। विभाग के विषय विशेषज्ञ डाॅ. जगदीश वर्मा ने बताया कि सेब के यह पौधे करसोग क्षेत्र के ही एक व्यक्ति की ओर से अवैध रूप से जम्मू-कश्मीर से गाड़ी में भर कर करसोग लाए जा रहे थे। 

सूचना मिलने पर विभागीय टीम ने कार्रवाई करते हुए गत 29 जनवरी को पौधों को अपने कब्जे में ले लिया था। बताया कि इस कार्रवाई को विभाग की ओर से गठित टीम की अगुवाई में फल पौधशाला पंजीकरण अधिनियम के अनुसार पूर्ण किया गया। इसमें डाॅ. मोनिका शर्मा, डाॅ. नारायण ठाकुर और जूनियर तकनीशियन जगदीश शामिल रहे। बताया कि इस तरह की कार्रवाई आगे भी जारी रहेगी। उन्होंने बागवानों को ऐसे लोगों से सतर्क रहने की सलाह देते हुए आग्रह किया है कि इस प्रकार के गैर पंजीकृत पौध उत्पादकों से फलदार पौधे न खरीदें और पंजीकृत नर्सरी से ही फलदार पौधों की खरीद करें। आग्रह किया है कि अवैध फल पौधों के कारोबार में संलिप्त लोगों की सूचना विभाग को दें, ताकि उनके खिलाफ कार्रवाई की जा सके। बताया कि कानून के अनुसार दोषी पाए जाने पर, ऐसे कारोबारी को 50 हजार रुपये तक जुर्माने और एक वर्ष के कारावास का भी प्रावधान है।


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