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झुग्गियों में आग लगने की घटनाएं लगातार आ रही है सामने

                                               मई माह में ही 130 झुग्गियां चढ़ गई आग की भेंट

ऊना,ब्यूरो रिपोर्ट 

जिले में झुग्गियों में आग लगने की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। मई में 130 के करीब झुग्गियां आग की भेंट चढ़ चुकी हैं। प्रशासन की तरफ से हर बार इस प्रकार की घटना होने के बाद कार्रवाई करने की चेतावनी दी जाती है, लेकिन इसके बाद कुछ ही दिनों में मामला कागजों तक ही सिमट कर रह जाता है। जिले में प्रवासी लोग बड़ी संख्या में काम के सिलसिले में विभिन्न उपमंडल में सरकारी और निजी भूमि पर झुग्गियां डालकर रह रहे हैं।

प्रशासन की तरफ से इन घटनाओं के बाद निजी स्तर पर भूमि मालिकों को पक्के टीन के शेड बनाने और अन्य सुविधाएं देने को लेकर निर्देश जारी किए गए हैं। इसके बावजूद इन निर्देशों की पालना नहीं हो पा रही है। बता दें कि मंगलवार को घालूवाल में करीब 82 झुग्गियां जलकर राख हो गईं, जबकि 50 झुग्गियों को जलने से बचाया गया। घालूवाल में स्थित यह झुग्गियां निजी या सरकारी भूमि पर थीं, इस मामले की जांच अभी स्थानीय प्रशासन कर रहा है, लेकिन जांच के बाद इन मामलों पर आगामी कार्रवाई नहीं की जाती है।

ऐसे में प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठना भी लाजमी हैं। हालत यह है कि नियमों को ताक पर रखकर निजी भूमि मालिक निर्देशों की परवाह किए बगैर प्रवासी लोगों को झुग्गियां बनाने के लिए जगह मुहैया करवाते हैं। इसके बाद इन प्रवासी मजदूरों से हर महीने किराया भी वसूल किया जाता है, लेकिन सुविधाएं देने के नाम पर कोई भी कार्रवाई भूमि मालिकों पर नहीं की जाती है। इससे पहले मई माह में ऊना शहर के साथ लगते लालसिंगी में भी 50 झुग्गियां जलकर राख हो गई थीं। इस दौरान भी प्रशासन ने कार्रवाई करने की चेतावनी दी थी। अभी तक उस मामले पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है। डीसी जतिन लाल का कहना है कि मामले की रिपोर्ट तलब की जाएगी।


नियमों के विपरित झुंगियां स्थापित किए जाने के खिलाफ नियमों के तहत कार्रवाई होगी।बीते वर्ष अप्रैल में प्रशासन ने आग लगने की घटनाओं पर संज्ञान लेते हुए हिदायत जारी की थी कि निजी भूमि मालिक इन खड़पोश झुग्गियों के निर्माण नहीं करेंगे। पेट्रोल पंप, उद्योग व रिहायशी इलाके से 200 मीटर दूर टीनपोश एवं फेबरीकेटड ढांचागत निर्माण कर प्रवासियों को देने और पुरानों को तीन माह में बदलाव करने को कहा गया। इसमें तीन मीटर की दूरी हर ढांचे के बीच पालन, बाकायदा ढांचागत व्यवस्था में सैनिटरी स्ट्रक्चर निर्माण हर दस परिवारों के समूह पर महिला और पुरुषों के लिए अलग-अलग टायलेट निर्माण, अग्निशमन सयंत्र, नियमों की उपलब्धता के संबंध में स्थानीय एसडीएम के संज्ञान में रिपोर्ट प्रस्तुत करने को भी कहा गया, लेकिन इन निर्देशों पर समय के साथ धूल फिरती गई।




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