Ticker

6/recent/ticker-posts

Header Ads Widget

दो या इससे अधिक सैंपल फेल हुए तो ब्लैक लिस्ट हो सकता है उद्योग

                                        20 उद्योग हैं जिनकी दवाओं के सैंपल बार-बार हो रहे है फेल

शिमला,ब्यूरो रिपोर 

हिमाचल प्रदेश में जिन दवा उद्योगों के दो या इससे अधिक सैंपल फेल हुए उन्हें ब्लैक लिस्ट किया जाएगा। यह बात स्वास्थ्य मंत्री डॉ. कर्नल धनीराम शांडिल ने सोलन में पत्रकारों से अनौपचारिक बात करते हुए कही।

उन्होंने कहा कि प्रदेश में ऐसे 20 उद्योग हैं जिनकी दवाओं के सैंपल बार-बार फेल हो रहे हैं। उन उद्योगों की उनके पास सूची पहुंच गई है। अब सरकार इन पर कार्रवाई की तैयारी कर रही है। डॉ. शांडिल ने कहा कि ऐसे उद्योगों से प्रदेश की छवि खराब हो रही है। दवाओं की गुणवत्ता सही होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि ड्रग विभाग के अधिकारियों को दवाओं की गुणवत्ता पर निगरानी रखने का कहा गया है। 


सभी दवा उद्योगों को निर्देश दिए गए हैं कि दो या इससे अधिक सैंपल फेल होने पर कार्रवाई की जाएगी। इसके बावजूद दवाओं के सैंपल बार-बार फेल हो रहे हैं। महिलाओं को 1,500 रुपये देने के सवाल पर स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि सभी पात्र महिलाओं को हर माह 1,500 रुपये मिलेंगे। उन्होंने कहा कि कि महिलाओं को दी जाने वाली राशि को लेकर बजट की कोई कमी नहीं है। जो महिलाएं इसके लिए पात्र हैं उन्हें यह राशि मिलेगी। विपक्ष इसको लेकर भ्रांतियां फैला रहा है।प्रदेश की सबसे   बड़ी आयुर्वेदिक फार्मेसी जोगिंद्रनगर में हृदय, शुगर और चर्म रोगों के लिए लगभग 34 हजार क्विंटल दवाओं का निर्माण किया जाएगा। 


इसके लिए कच्चे माल की आपूर्ति शुरू हो गई है। 14 तरह की आयुर्वेदिक दवाओं के साथ आयुष काढ़े भी बनेंगे। दर्द निवारक तेल और गले के रोगों के लिए भी आयुर्वेदिक दवाओं का निर्माण किया जाएगा। निर्मित होने वाली औषधियों की आपूर्ति प्रदेश के करीब 1200 आयुष हेल्थ केंद्रों सहित जिलों के आयुर्वेदिक अस्पतालों में होगी। वर्ष 2023 में करीब 36,500 किलोग्राम दवाओं का निर्माण पूरा होने के बाद अब 2024-25 के लिए भी आयुर्वेदिक दवाओं के निर्माण की जिम्मेदारी सौंपी गई है। आयुर्वेदिक विभाग उपनिदेशक डॉ. आनंदी शैली ने कहा कि फार्मेसी में औषधियों के निर्माण की तमाम औपचारिकताओं का पूरा कर लिया गया है। 




Post a Comment

0 Comments

महाराजा संसार चन्द के किले की दुर्दशा को लेकर इन्साफ संस्था ने लिखा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को पत्र