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आखिर क्यों? भोटा चैरिटेबल अस्पताल के संचालन पर फंसा पेच

                                    क्यों हो रही है भोटा चैरिटेबल अस्पताल के शिफ्ट होने की चर्चा 

हमीरपुर,ब्यूरो रिपोर्ट 

राधास्वामी सत्संग ब्यास चैरिटेबल अस्पताल भोटा के संचालन को लेकर पेच फंस गया है। ब्यास प्रबंधन की ओर से 45 बेड की सुविधा वाले इस अस्पताल को अपग्रेड करने की योजना के तहत जमीन को महाराज जगत सिंह रिलीफ सोसायटी के नाम हस्तांतरित करने का आग्रह सरकार से किया गया था। 

इस अस्पताल को अपग्रेड करने के लिए मशीनरी और अन्य जरूरी उपकरणों की खरीद के लिए टैक्स का भुगतान करोड़ों रुपये में बन रहा है।ऐसे में अतिरिक्त खर्च से बचने के लिए ब्यास प्रबंधन ने सरकार से आग्रह किया था कि अस्पताल भवन की जमीन के हिस्से को महाराज जगत सिंह रिलीफ सोसायटी के नाम ट्रांसफर कर दिया जाए, ताकि अस्पताल को अपग्रेड किया जा सके। ब्यास प्रबंधन की इस मांग को पूरा करने में हिमाचल प्रदेश सीलिंग ऑन लैंड होल्डिंग एक्ट आड़े आ रहा है। 


सरकार की ओर से रियायत मिलने पर ही जमीन हस्तातंरण संभव है, लेकिन इसमें धारा 118 की उलझन भी पेश आ सकती है।ब्यास प्रबंधन ने प्रदेश सरकार के समक्ष इस मसले को रखा है। जिला प्रशासन हमीरपुर की ओर से इस विषय पर मंडलायुक्त मंडी को पत्राचार किया गया है। मंडलायुक्त की ओर से यह मसला अब कानून विभाग के पास पहुंचा है। ब्यास प्रबंधन ने सीधे तौर पर मुख्यमंत्री सुक्खू के समक्ष इस विषय को रखा है। पहले आठ नवंबर तक ब्यास प्रबंधन की मांग पर फैसला लिए जाने की बात कही गई थी, लेकिन कानूनी पेच के चलते मामला उलझ गया है। कानूनी पेच को सुलझाने के लिए प्रदेश सरकार और प्रबंधन में तीस नवंबर की तक सहमति बनी है।चर्चा यह भी है कि यदि जमीन के हस्तातंरण की बात 30 नवंबर तक सिरे नहीं चढ़ती है तो ब्यास प्रबंधन इस अस्पताल के स्टाफ और संपत्तियों को डेराब्यास अस्पताल में शिफ्ट करने की योजना पर विचार कर रहा है।


बड़सर, भोरंज, हमीरपुर और नादौन, सरकाघाट, घुमारवीं विधानसभा क्षेत्र की इन पंचायतों के लोगों को निशुल्क उपचार और सस्ती दरों पर दवाइयां उपलब्ध होती हैं। जबकि इंडोर में दाखिल होने वाले मरीजों के उपचार से लेकर खाने-पीने का खर्च भी ब्यास प्रबंधन उठाता है।चैरिटेबल अस्पताल में लगभग हर रोग का विशेषज्ञ मौजूद है। पथरियों, हर्नियां के ऑपरेशन के लिए हर तीन माह बाद डेराब्यास अस्पताल से टीम आती है। अस्पताल में 200 कर्मचारियों का स्टाफ है। यह अस्पताल साल 1999 से यहां पर संचालित किया जा रहा है। ब्यास प्रबंधन की ओर से देश में महज तीन अस्पताल चलाए जा रहे हैं। चैरिटेबल अस्पताल सिंकदरपुर, डेराब्यास और भोटा में संचालित किया जा रहा है। अस्पताल का संचालन महाराज जगत सिंह रिलीफ सोसायटी कर रही है। करोड़ों रुपये का खर्च कर इन अस्पतालों को ब्यास प्रबंधन संचालित कर रहा है।डीसी हमीरपुर अमरजीत सिंह ने कहा कि जमीन को महाराज जगत सिंह सोसायटी को हस्तांतरण के लिए मंडलायुक्त को पत्राचार किया गया है। इस विषय पर सरकारी स्तर पर हर निर्णय लिया जा सकता है।




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