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आखिर विधानसभा सत्र के दौरान कौन-कौन से बिल हुए पारित

                                         अनुबंध कर्मियों को नहीं मिलेंगे नियमित मुलाजिमों के लाभ

काँगड़ा,ब्यूरो रिपोर्ट 

हिमाचल विधानसभा में शुक्रवार को विपक्ष के कड़े विरोध और तीखी नोकझोंक के बीच हिमाचल प्रदेश सरकारी कर्मचारी भर्ती एवं सेवा शर्तें संशोधन विधेयक, पंचायती राज संशोधन विधेयक और पुलिस अधिनियम में संशोधन विधेयक समेत चार विधेयक पारित किए गए। 

वहीं, भूजोत अधिकतम सीमा संशोधन विधेयक पारित होते ही अब भोटा अस्पताल की 30 एकड़ जमीन हस्तांतरित हो सकेगी। अनुबंध कर्मियों के विधेयक पर मुख्यमंत्री ने कहा कि त्रुटि को दुरुस्त किया गया है। अनुबंध वालों को नियमित कर्मचारियों के समान मानने से सरकार पर बोझ पड़ेगा और इससे वरिष्ठता भी प्रभावित होगी। उधर, विपक्ष ने कहा कि संशोधन विधेयक को पिछले तिथि से लागू करना ठीक नहीं, इससे पदोन्नत हो चुके अनुबंध कर्मी प्रभावित होंगे।


भर्ती एवं सेवा शर्तें संशोधन विधेयक में नियमित और अनुबंध कर्मचारियों की सेवा शर्तों को अलग किया गया है। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि अनुबंध नीति के अनुसार नियमित और अनुबंध सेवाओं में अंतर होता है। अनुबंध कर्मियों की सेवा शर्तों को नियमित से अलग तरीके से प्ररिभाषित करना आवश्यक है। उन्होंने तर्क दिया कि अनुबंध कर्मियों को नियमित कर्मियों के समान मानना राज्य के खजाने पर भारी बोझ डालेगा और नियमित कर्मियों की वरिष्ठता को भी प्रभावित करेगा। सुक्खू ने कहा कि त्रुटि के कारण नियमित कर्मचारियों को डिमोट करने की नौबत आ रही थी, जो नहीं आनी चाहिए।


कुछ लोग कोर्ट जा रहे हैं और वहां से भी निर्णय आ रहे हैं कि लाभ पहले की तिथि से दिया जाए, ऐसे कर्मियों की संख्या ज्यादा नहीं है।भाजपा विधायक त्रिलोक जम्वाल ने कहा कि 12 दिसंबर 2003 के बाद जो भी अनुबंध पर लगे हैं, सुप्रीम कोर्ट तक हारने के बाद उनके बारे में विधेयक लाया गया है। यह संशोधन पिछली तिथि से लागू हो रहा है। अनुबंध कर्मचारी इससे परेशान होंगे। उनकी पदोन्नति का क्या होगा। सरकार अगर इसे अगली तिथि से लागू करने की बात करती है तो भी इस पर विचार किया जा सकता है। इसे वापस लिया जाए। भाजपा विधायक जीतराम कटवाल ने भी कहा कि प्रावधान को पिछली तिथि से लागू न किया जाए। विधायक रणधीर शर्मा ने कहा कि इसे प्रतिष्ठा का सवाल न बनाकर फैसले को वापस लिया जाए। भाजपा विधायक हंसराज ने भी कहा कि विधेयक पर पुनर्विचार होना चाहिए।


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