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दो@षी सुनील कुमार को करना होगा ट्रायल कोर्ट के समक्ष आत्म#समर्पण

                                                     दो@षी ने दी थी सजा आदेश को सत्र न्यायालय में चुनौती

शिमला,ब्यूरो रिपोर्ट 

जिला अदालत के आदेश के बाद चेक बाउंस के एक मामले में कसुम्पटी निवासी दोषी सुनील कुमार को ट्रायल कोर्ट के समक्ष आत्मसमर्पण करना होगा। 

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश की अदालत ने निचली अदालत के दोष सिद्ध के निर्णय और सजा के फैसले को बरकरार रखा है। दोषी ने 4 नवंबर 2023 की सजा आदेश को सत्र न्यायालय में चुनौती दी थी। अब न्यायाधीश प्रवीण गर्ग ने दोषी की अपील को खारिज करते हुए उसे ट्रायल कोर्ट के समक्ष आत्मसमर्पण करने के आदेश दिए हैं।मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने उसे एक साल की साधारण कारावास की सजा और 6 लाख रुपये का जुर्माना/मुआवजा लगाया था। यह मामला साल 2014 में राजधानी के पंथाघाटी क्षेत्र का है। पंथाघाटी निवासी शिकायतकर्ता सुरिंदर गर्ग से दोषी सुनील कुमार ने व्यवसायिक उद्देश्य के लिए 12 लाख रुपये का ऋण लिया था।


उक्त राशि सहमत शर्तों के अनुसार, 10 मार्च से 22 अगस्त के बीच उधार ली गई थी। आरोपी ने एक वर्ष के भीतर उक्त राशि को चुकाने का वचन दिया। देनदारी का निर्वहन करने के लिए उसने 7 और 5 लाख के दो चेक जारी किए थे। लेकिन 3 सितंबर 2015 को उसके खाते में अपर्याप्त निधि के कारण चेक अनादरित कर दिए गए।इस दौरान भी अभियुक्त भुगतान करने में विफल रहा। इसके बाद अक्तूबर 2015 को कर्ज न चुकाने पर शिकायतकर्ता ने अदालत के समक्ष केस दायर किया था। 

इसी दौरान दोषी ने खुद को निर्दोष बताया और मुकदमे की मांग की। उधर, न्यायालय में केस के दौरान दोनों पक्षों की ओर से दलीलें दी गईं और सबूतों के आधार पर अदालत ने अपील को खारिज करते हुए सुनील कुमार को ट्रायल कोर्ट के समक्ष आत्मसमर्पण करने के आदेश दिए हैं।दोषी तत्काल आत्मसमर्पण नहीं करता है, तो ट्रायल कोर्ट सजा के आदेश को निष्पादित करने के लिए स्वतंत्र है। निर्देश दिए है कि कोई राशि अदालत में जमा की जाती है, तो उच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुसार उसे पुनरीक्षण की सीमा अवधि समाप्त होने के बाद शिकायतकर्ता के पक्ष में वितरित की जाए।


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