एचपीयू में बिना अनुमति के ही नियुक्त कर दिए पांच एचओडी
शिमला,ब्यूरो रिपोर्ट
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में कुलपति की अनुमति लिए बिना ही पांच नए विभागाध्यक्षों की नियुक्ति कर दी गई। आरोप है कि विवि के यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (यूआईटी) के तहत चल रहे पांच विभागों में प्राध्यापकों को एचओडी पर पदोन्नति दे दी, जबकि नियमों में इसका प्रावधान ही नहीं था।
हालांकि, इन्हें अस्थायी विभागाध्यक्ष नाम दिया गया। अब विश्वविद्यालय ने इसकी जांच शुरू कर दी है।आरटीआई एक्ट के तहत एक अपील पर आए निर्णय में मामले को राज्य सूचना आयोग ने उजागर किया है। विभागाध्यक्षों की ये अस्थायी नियुक्तियां संस्थान के अनुप्रयुक्त विज्ञान एवं मानविकी, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं संचार, सूचना प्रौद्योगिकी, कंप्यूटर विज्ञान एवं इंजीनियरिंग, सिविल इंजीनियरिंग और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभागों में की गई हैं। नादौन निवासी विनय कुमार की एक अपील पर सुनाए फैसले में सूचना आयुक्त डॉ. एसएस गुलेरिया ने टिप्पणी की कि ऐसा लग रहा है कि कुछ फैकल्टी सदस्यों को अवांछित लाभ देने के लिए ऐसा किया गया।
उन्होंने एचपीयू के रजिस्ट्रार को निर्देश दिए कि एचओडी की नियुक्तियों के मामले में जांच करें। इन्हें बगैर कुलपति की मंजूरी और बिना किसी प्रावधान के नियुक्त किया गया है। विनय ने आरटीआई आवेदन में विशेष रूप से उस अध्यादेश पर सवाल उठाया था, जिसके तहत इन विभागाध्यक्षों की नियुक्ति की गई थी। एचपीयू के नियम-कानून ऐसे पदों को परिभाषित नहीं करते हैं। उधर, हिमाचल प्रदेश विवि के कुलपति का कार्यभार देख रहे प्रो. एसपी बंसल से भी संपर्क किया गया, मगर उन्होंने प्रतिक्रिया नहीं दी।आयोग के निर्देश पर जांच कर रहे हैं। जांच रिपोर्ट आयोग को भेजी जाएगी। ये नियुक्तियां संस्थान के पूर्व निदेशक के कार्यकाल में विभागों की एक व्यवस्था बनाने के लिए की गईं थीं। इसका विवि पर वित्तीय बोझ नहीं पड़ा है।
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