स्पीति घाटी के डेमूल गांव की खुशहाली व संस्कृति के संरक्षण में सबकी साझेदारी
लाहौल-स्पीति,ब्यूरो रिपोर्ट
समुद्रतल से 14,170 फीट की ऊंचाई पर बसा स्पीति घाटी का डेमूल गांव न केवल अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यह हिमाचल प्रदेश का पहला ऐसा गांव है जिसने सामुदायिक सोच के साथ ग्रामीण पर्यटन को एक नई दिशा दी है।
डेमूल ने न केवल हिमाचल बल्कि पूरे देश के सामने ग्रामीण विकास और सतत पर्यटन का अनूठा उदाहरण प्रस्तुत किया है। डेमूल में होम स्टे की शुरुआत वर्ष 2004 में हुई थी। इस पहल का उद्देश्य गांव में आने वाले पर्यटकों को स्थानीय संस्कृति और जीवनशैली से जोड़ना था। गांव के 52 घरों में सभी को होम स्टे के रूप में पंजीकृत किया गया। लेकिन सबसे खास बात यह रही कि गांववालों ने आपसी समझदारी से सामुदायिक मॉडल को अपनाया। वर्ष 2010 में गांववासियों ने मिलकर निर्णय लिया कि एक साल में केवल 26 घर ही होम स्टे के रूप में काम करेंगे और अगले साल बाकी के 26 घर।इस बारी-बारी के सिस्टम से यह सुनिश्चित होता है कि सभी परिवारों को पर्यटन से समान रूप से आय हो और संसाधनों पर दबाव भी संतुलित बना रहे।
डेमूल के होम स्टे में रुकने वाले पर्यटकों से सिर्फ 1100 रुपये शुल्क लिया जाता है, जिसमें एक रात ठहरना और तीन वक्त का शुद्ध स्थानीय भोजन शामिल होता है। डेमूल गांव का सामुदायिक पर्यटन मॉडल सिर्फ आर्थिक लाभ तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य पारंपरिक संस्कृति का संरक्षण और पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखना भी है। गांववाले स्थानीय संसाधनों का इस्तेमाल कर, प्लास्टिक मुक्त वातावरण और जैविक भोजन उपलब्ध करवाते हैं। इस प्रकार से डेमूल गांव निस्संदेह ग्रामीण पर्यटन और सामूहिक विकास का प्रेरणादायक उदाहरण है। यह मॉडल देश के अन्य ग्रामीण इलाकों के लिए भी एक दिशा दिखाता है कि किस तरह गांववाले मिलकर सतत विकास और समृद्धि की ओर कदम बढ़ा सकते हैं। डेमूल आज भारतीय और विदेशी पर्यटकों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रहा है।
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