नूरपुर बाईपास के निर्माण के लिए पहाड़ी की कटिंग की जा रही
काँगड़ा,रिपोर्ट नेहा धीमान
मानसून सीजन शुरू होने वाला है, ऐसे में सड़कों और पहाड़ों की खोदाई व कटाई लोगों पर मुसीबतों का पहाड़ गिरा सकती है। नूरपुर शहर के वार्ड दो में हाउसिंग बोर्ड कालोनी और इससे सटे चिनबा रोड पर आईटीआई के बीच पठानकोट-मंडी फोरलेन परियोजना का काम चल रहा है। इसमें बौड़ से नूरपुर बाईपास के निर्माण के लिए पहाड़ी की कटिंग की जा रही है। इस कार्य को पूरा करने में कितना समय लगेगा, फिलहाल यह कहना मुश्किल है, लेकिन मानसून में यह लोगों के लिए परेशानी का सबब बन सकता है।
खासकर हाउसिंग बोर्ड कालोनी से सटे सूरज टिल्ले की तराई में रोड कटिंग के काम से बारिश का पानी और मलबा रिहायशी मकानों में घुसने का अंदेशा बना हुआ है। यहां निकासी नालियां अवरुद्ध हैं और पानी की निकासी के लिए कोई पुख्ता इंतजाम नहीं किए हैं।इतना ही नहीं, हाउसिंग बोर्ड काॅलोनी से महज 500 मीटर की दूरी पर बौड़ से खुशीनगर तक जाने वाले बाईपास के लिए बिछी मिट्टी बरसात में दलदल का रूप ले सकती है। इससे आईटीआई तक जाने के लिए भी मुसीबत हो सकती है। थोड़ी सी बारिश होने से ही यहां से गुजरना मुश्किल हो जाता हैं तो मानसून सीजन में मिट्टी का दलदल कैसे पार होगा? यह बड़ा सवाल है। पिछले साल बरसात में भी यहा लोगों को मलबे का सामना करना पड़ा था।बरसात के दिनों में पहाड़ी का सारा मलबा रिहायशी मकानों के पीछे आ जाता है और इससे अकसर रास्ता और नालियां बंद हो जाती हैं।
जिससे स्थानीय लोगों को खासी परेशानी झेलनी पड़ती है। प्रशासन को बरसात से पहले उचित कदम उठाने चाहिए।पिछले साल बरसात में रोड कटिंग का मलबा नीचे आने से सड़क मार्ग के बार-बार बंद होने से खासी दिक्कत पेश आई थी। साथ ही मलबे की वजह से बारिश का पानी भी घरों में घुसता हैं। इस बार तो आईटीआई के पास खासी कटिंग से बरसात में गुजरना मुश्किल हो जाएगा।हाउसिंग बोर्ड कालोनी में सूरज टिल्ले की निचली तरफ रिहायशी मकानों के ऊपर कटिंग से बरसात में मलबा व पानी घरों में घुसने का खतरा बढ़ गया है, जबकि इसे रोकने के लिए कोई भी इंतजाम नहीं किए गए हैं। पिछली बरसात में भी मलबा नीचे आने के कारण लोगों को काफी परेशानी झेलनी पड़ी थी।नूरपुर-चिनबा सड़क मार्ग पर वार्ड दो में बाइपास की कटिंग के चलते आम दिनों में ही धूल के गुबार के बीच गुजरना मुश्किल हो जाता है। तो आगे बरसात के दिनों दलदल कैसे पार होगा। यहां तेज बारिश होने से मलबा सड़क पर आ जाता है और पानी का भी घरों में घुसने का अंदेशा रहता है।
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