Ticker

6/recent/ticker-posts

Header Ads Widget

आखिर शिमला में क्यों घटा चेरी का कारोबार

                                                                     मंडी में कम पहुंचीं 1.75 लाख पेटी

शिमला,ब्यूरो रिपोर्ट 

शिमला जिले में इस साल चेरी की पैदावार में गिरावट आई है। बीते वर्ष के मुकाबले इस साल जिले की फल मंडियों में एक लाख 75 हजार 995 बॉक्स (पेटी) चेरी का कम कारोबार हुआ है। 

इसका मुख्य कारण अनियमित मौसम को माना का जा रहा है। चेरी का सीजन अब खत्म हो चुका है। पिछले साल जहां जिला की फल मंडियों में 5,46,544 बॉक्स चेरी के पहुंचे थे, वहीं इस वर्ष 3,70,549 बॉक्स ही मंडी में पहुंचे। इससे शिमला जिला के फागू, ठियोग, कुमारसैन और नारकंडा सहित अन्य प्रमुख चेरी उत्पादक क्षेत्रों के बागवान निराश हैं। बागवानों का कहना है कि बेमौसम गर्मी और जलवायु के उतार-चढ़ाव के कारण चेरी उत्पादन में कमी आई है। वर्तमान में हिमाचल में चेरी की खेती करीब 600 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में होती है। इसमें से 75 प्रतिशत शिमला जिले में होती है। औसतन राज्य में सालाना छह हजार मीट्रिक टन से अधिक चेरी का उत्पादन होता है।

 चेरी का एक किलो का बॉक्स 550 रुपये तक बिका, वहीं पिछले साल 650 रुपये प्रतिकिलो तक चेरी के दाम मिले थे। शिमला जिले में नारकंडा, कंडियाली, कोटगढ़-कुमारसैन, रामपुर, रोहड़ू और कोटखाई क्षेत्रों में चेरी का उत्पादन होता है। इसके अलावा इस वर्ष जुलाई के आखिरी हफ्ते तक खुमानी के 53,984, प्लम के 5,42,923, आड़ू के 15,502, नेक्टेरिन 12,207, शक्कर पारा 41,026, बादाम के 29,465 बॉक्स और 624 बैग भट्ठाकुफर फल मंडी में पहुंचे हैं।बीते साल के मुकाबले इस वर्ष भट्ठाकुफर फल मंडी में कम चेरी की फसल पहुंची है। गुणवत्ता भी अच्छी नहीं थी। बारिश की वजह से चेरी खराब हो गई थी। इस साल भट्ठाकुफर और पराला मंडी में 3,70,549 पेटी चेरी पहुंची है।



Post a Comment

0 Comments

जिला काँगड़ा के बंदला धार साइट से उड़ान भरेंगे पैराग्लाइडर पायलट