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सेब की बर्फी बन रही खास

                                                             एक साल तक नहीं लगती फंगस

शिमला,ब्यूरो रिपोर्ट 

हिमाचल प्रदेश का जिला शिमला जहां एक ओर अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है वहीं, सेब उत्पादकता के लिए भी यह जिला विशेष पहचान रखता है। सेब की विभिन्न किस्में बाजार में उपलब्ध रहती हैं और सेब से जुड़े अनेकों उत्पादों का आपने कभी न कभी जीवन में आंनद लिया ही होगा।

 लेकिन आपमें से बहुत कम ऐसे लोग होंगे जिन्होंने कभी सेब की बर्फी का स्वाद चखा होगा। जिला शिमला अब सेब की बर्फी के लिए भी मशहूर होने लगा है।जिला शिमला के आकांक्षी खंड छोहारा के तहत एक स्वयं सहायता समूह ऐसा है जो पिछले कुछ वर्षों से सेब की बर्फी तैयार करके लोगों तक पहुंचा रहा है। सेब की बर्फी को जिसने भी खाया है उसने बेहद पसंद किया है। सेब की बर्फी लोगों के दिलों के पास पहुंच रही है। इस बर्फी को ऑर्गेनिक तौर पर तैयार किया जाता है।समूह की सदस्य सपना ने जानकारी देते हुए बताया कि हम सबसे पहले सबसे अच्छे सेब एकत्रित करते हैं। पहले चरण में इन्हें तीन चार बार स्वच्छ पानी के साथ धोया जाता है। 

दूसरे चरण में सेब से पल्प निकाला जाता है। पल्प निकालने के बाद काफी देर तक पकाया जाता है। इसके बाद ड्राई फ्रूट मिलाए जाते है। फिर पल्प और ड्राई फ्रूट दोनों को पकाया जाता है। काफी देर तक पकाने के बाद जब रंग गहरा भूरा हो जाता है तो फिर पकाना बंद कर दिया जाता है। इसके बाद इसके प्लेट में तीन से चार दिनों तक रख दिया जाता है। फिर सेब की बर्फी बनकर तैयार हो जाती है। इसके तुरंत बाद छोटे-छोटे पीस में काटकर डिब्बे में पैकिंग की जाती है।स्वयं सहायता समूह के अनुसार वह पिछले तीन वर्षों से सेब की बर्फी बना रहे हैं। यह बर्फी एक साल तक बिना फंगस के रहती है और बिलकुल भी खराब नहीं होती है, जबकि इसका स्वाद एक दम ताजा ही रहता है। इसकी डिमांड अब बढ़नी शुरू हो गई है।

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