करोड़ों की बागवानी पर संकट, सेब के दाम धड़ाम
शिमला,ब्यूरो रिपोर्ट
आपदा से हिमाचल में करोड़ों की बागवानी पर संकट खड़ा हो गहा है। बागवानों को भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है। राष्ट्रीय राजमार्गों के अलावा अन्य सड़कें बंद होने से बागवानों के लिए सेब की फसल मंडियों तक पहुंचानी मुश्किल हो गई है। सेब और सब्जियों से लदे ट्रक पिछले पांच दिन से जाम में फंसे हुए हैं।
इससे क्वालिटी खराब हो गई है। खरीदारों और ट्रांसपोर्टरों को भारी घाटा उठाना पड़ रहा है। सेब के दामों में भारी गिरावट आई है। कुल्लू-मंडी हाइवे पर आवाजाही प्रभावित होने से करीब 250 ट्रक फंस गए हैं।सड़कें बंद होने से बागवानों का उपज मंडियों तक पहुंचाने का खर्चा बढ़ गया है। ढुलाई का खर्चा बढ़ने से लागत मूल्य बढ़ गया है और मंडियों में सेब को कम दाम मिल रहे हैं। सरकार ने भी सी ग्रेड सेब की खरीद के लिए बीते वर्षों के मुकाबले पूरे खरीद केंद्र नहीं खोले हैं। जब से सेब सीजन ने रफ्तार पकड़ी है। प्रदेश में रोजाना 200 से 300 सड़कें बंद चल रही हैं। कुल्लू और मंडी सबसे अधिक प्रभावित हैं। प्राकृतिक आपदा के बाद सराज के बागवान सबसे अधिक प्रभावित हैं। कुल्लू-मंडी हाईवे बार-बार बंद होने से सेब की फसल को दिल्ली, पंजाब और गुजरात पहुंचाना मुश्किल हो गया है।
खराब मौसम को देखते हुए बागवानों ने सेब तुड़ान पर ब्रेक लगा दी है, लेकिन अधिक दिनों तक तुड़ान रोकना भी संभव नहीं है। सड़कें प्रभावित होने से कुल्लू, मंडी और शिमला का सेब ही नहीं बल्कि स्पीति का मटर और लाहौल की फूलगोभी भी मंडियों तक नहीं पहुंच पा रही।काजा से दिल्ली के लिए रवाना हुए मटर से लदे ट्रक पिछले पांच दिन से औट और पंडोह के बीच जाम में फंसे हुए हैं। लाहौल की फूलगोभी से लदी पिकअप गाड़ियां भी जाम में फंसी हैं। ठियोग के सब्जी कारोबारी जोगिंद्र शर्मा ने बताया कि सड़क बंद होने से करीब 30 लाख का नुकसान हो गया है। समय से सब्जियों के ट्रक बाहरी राज्यों की मंडियों तक न पहुंचने से किसानों को भी भारी नुकसान हो रहा है।करने के निर्देश दिए गए हैं। राष्ट्रीय राजमार्गों को बहाल करने का काम भी युद्ध स्तर पर चल रहा है। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से भी सहयोग के लिए बात की जाएगी।
0 Comments