हंगामे के बीच भाजपा का रुख सख्त, मंत्री का सदन में विरोध
शिमला,ब्यूरो रिपोर्ट
भाजपा विधायक दल की बैठक में हुए फैसले के अनुसार मंगलवार को विपक्षी सदस्यों ने सदन में राजस्व एवं बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी का बहिष्कार किया। भाजपा विधायकों ने सदन में मौजूद रहने के बावजूद मंत्री जगत सिंह नेगी से संबंधित सवाल नहीं पूछे।
प्रश्नकाल के दौरान विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया के नाम पुकारने पर भी विधायक बिक्रम सिंह, राकेश जम्वाल और दीपराज सवाल पूछने के लिए खड़े नहीं हुए। इस पर मुख्यमंत्री ने आपत्ति जताते हुए कांग्रेस विधायकों को अनुपूरक सवाल पूछने का मौका देने की मांग उठाई। मंत्री के बहिष्कार से मंगलवार को सदन में माहौल गरमाया रहा। पक्ष और विपक्ष के विधायकों के बीच खूब नोकझोंक हुई। विधानसभा अध्यक्ष ने मामला शांत कराते हुए मंत्री नेगी से संबंधित सवालों के जवाबों को लिखित मानने की व्यवस्था दी।प्रश्नकाल के दौरान भाजपा विधायक बिक्रम सिंह और राकेश जम्वाल का राजस्व से संबंधित सवाल लगा था। अध्यक्ष ने जब विधायक का नाम सवाल पूछने के लिए पुकारा तो बिक्रम सिंह ने सवाल पूछने से इन्कार कर दिया। इसके बाद विधायक दीपराज ने भी सवाल नहीं पूछा। सीएम ने कहा कि विधायक सदन में मौजूद हैं, संबंधित विभाग के मंत्री भी सदन में हैं। ऐसे में सवाल नहीं पूछना गलत है।
उन्होंने अध्यक्ष से आग्रह करते हुए कहा कि कांग्रेस विधायक इन सवालों से जुड़े अनुपूरक सवाल करना चाहते हैं। उन्हें मंजूरी दी जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि सवालों के जवाब तैयार करने में कई दिन लग जाते हैं। सदन में ऐसी स्थिति पहले कभी नहीं आई। उन्होंने अध्यक्ष से अनुरोध किया कि आप अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए व्यवस्था दो। इस पर विपक्षी सदस्यों ने आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि जब सवाल पूछा ही नहीं गया है तो उसका अनुपूरक सवाल कैसे हो सकता है।इस पर विस अध्यक्ष ने कहा कि प्रश्न लगाने के नियम होते हैं। जब सवाल चर्चा में ही नहीं आएगा तो अनुपूरक सवाल नहीं हो सकता। अगर भाजपा विधायक सवाल नहीं पूछना चाहते हैं तो हम इन्हें डिलीट कर देते हैं। सवाल पूछे जाने पर ही यह रिकॉर्ड में आते हैं। सवाल डिलीट करने की व्यवस्था का भी भाजपा के सदस्यों ने विरोध किया। इस पर अध्यक्ष ने कहा कि इन सवालों को डिलीट करने की जगह अतारांकित श्रेणी में डाल देते हैं। इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि या तो भाजपा के विधायक सदन से बाहर जाएं, नहीं जाना है तो सवाल पूछें। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि मैं मुख्यमंत्री की भावनाओं से सहमत हूं। सवालों को डिलीट या अतारांतिक श्रेणी में नहीं डालना है तो इन्हें लिखित जवाब माना जाए।
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