याचिकाकर्ता सभी परिणामी लाभों की भी हकदार होगी
शिमला,ब्यूरो रिपोर्ट
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने 16 साल से अनुबंध पर कार्यरत एक डाटा एंट्री ऑपरेटर की सेवाओं को नियमित करने के आदेश दिए हैं।
अदालत ने राज्य सरकार और सोसायटी फॉर एनवायरनमेंट प्रोटेक्शन एंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट को याचिका दायर करने की तारीख से लागू नियमितीकरण नीति के अनुसार याचिकाकर्ता की सेवाओं को नियमित करने पर विचार करने को कहा है। न्यायाधीश सत्येन वैद्य की अदालत ने कहा है कि याचिकाकर्ता सभी परिणामी लाभों की भी हकदार होगी।अदालत ने सुनवाई के दौरान पाया कि याचिकाकर्ता 16 साल से अधिक समय से सोसायटी में लगातार काम कर रही है और उसकी सेवाएं अस्थायी नहीं हैं।
अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि प्रतिवादियों के आचरण ने इस बात की उम्मीद पैदा की थी कि याचिकाकर्ता की सेवाएं नियमित की जाएंगी। इस अपेक्षा को नकारना संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और अनुच्छेद 16 (सार्वजनिक रोजगार में अवसर की समानता) का उल्लंघन है।याचिकाकर्ता मन्सी परिहार ने 2008 में सोसायटी में फील्ड असिस्टेंट-सह-डाटा एंट्री ऑपरेटर के रूप में नौकरी शुरू की थी। 16 साल की सेवा के बाद भी याचिकाकर्ता अनुबंध के आधार पर काम कर रही हैं। याचिकाकर्ता ने वर्ष 2016 से अनुबंध सेवाओं को नियमित करने की मांग को लेकर न्यायालय में याचिका दायर की थी। याचिका में बताया गया है कि अन्य समान पदों पर कार्यरत कर्मचारियों को नियमितीकरण नीति का लाभ दिया गया है। प्रतिवादियों की ओर से याचिकाकर्ता की नियमितीकरण की मांग को इस आधार पर अस्वीकार कर दिया गया था कि सोसायटी में कोई स्वीकृत पद नहीं है।
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