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उधार की छत के नीचे बैठ भविष्य संवार रहे चंसारी स्कूल के बच्चे

                                     विद्यार्थियों का सपना तो अपना है, लेकिन उनके पास छत पराई

कुल्लू,ब्यूरो रिपोर्ट 

बेशक शिक्षा को मौलिक अधिकार माना जाता है, लेकिन जब विद्यालय ही उधार का हो और जिम्मेदार अपनी जिम्मेदारियों से भागते फिरें। तब सवाल उठता है कि विद्यार्थियों को क्यों अव्यवस्था की नाकामी की कीमत चुकानी पड़ती है। 

ऐसी ही कहानी जिला कुल्लू के राजकीय उच्च विद्यालय चंसारी (खराहल) के विद्यार्थियों की है। विद्यार्थियों का सपना तो अपना है, लेकिन उनके पास छत पराई है। देश का भविष्य उधार की दीवारों के बीच बैठकर शिक्षा की नींव रख रहा है।इस स्कूल में 103 विद्यार्थी पढ़ाई कर रहे हैं। वह पढ़ाई की कीमत अपनी जेब से किराया देकर चुका रहे हैं। विद्यालय के नाम अपनी 3.19 बिस्वा भूमि है। नए भवन के निर्माण के लिए 1.92 करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान है। इसके बाद भी विद्यार्थियों को विगत दो वर्षों से उधार के विद्यालय में पढ़ाई करनी पड़ रही है। सरकार, प्रशासन, शिक्षा और लोक निर्माण विभाग की लेटलतीफी विद्यार्थियों पर भारी पड़ रही है। चार कमरों के निजी भवन में पांच कक्षाएं (छठी से दसवीं) लग रही हैं। 

इसके लिए हर विद्यार्थी को प्रति महीने 100 रुपये का भुगतान करना पड़ रहा है। अभिभावकों का दावा है कि दो साल भवन मालिक ने किराया नहीं लिया। वह किराया लेने के लिए अभी भी तैयार नहीं है, लेकिन पिछले चार माह से स्वेच्छा से किराये का भुगतान किया जा रहा है। क्योंकि एक नेक इंसान की वजह से उनके बच्चों के भविष्य की लौ जल रही है।जुलाई 2023 में भूस्खलन होने से विद्यालय का पुराना भवन जर्जर हो गया है। इसमें कक्षाएं नहीं लग सकती हैं। नए भवन का निर्माण अधर में लटका है। तीन मंजिला भवन का ढांचा तैयार है, लेकिन कमरे नहीं बने हैं। विद्यार्थियों को निजी भवन के चार कमरों में पढ़ाना पड़ रहा है।चंसारी विद्यालय की सुरक्षा के लिए नए भवन के पीछे सुरक्षा दीवार लगाई गई है। भवन निर्माण का आगामी कार्य ठेकेदार को शुरू करने के निर्देश दिए गए हैं। - बीसी नेगी, अधिशासी अभियंता लोक निर्माण विभाग।

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