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हिमाचल में अवैध खनन से बढ़ रहा आपदा का खतरा

                                                 नदी-नालों का सीना छलनी, प्रकृति का संतुलन बिगड़ा

शिमला,ब्यूरो रिपोर्ट 

हिमाचल प्रदेश में आपदा से तबाही का खनन भी बड़ा कारण है। प्रदेश में कई वर्षों से अवैज्ञानिक तरीके और अवैध खनन से हिमाचल के नदी-नालों और खड्डों को खोखला किया जा रहा है। इससे नदी-नाले रास्ते बदल रहे हैं, जो बरसात में तबाही का कारण बन रहे हैं।

सतलुज, ब्यास, यमुना, चिनाब बेसिन के अलावा कई नदी-नालों में बड़े पैमाने पर अवैध के मामले सामने आए हैं।आईआईटी पुणे की रिसर्च रिपोर्ट में भी हिमाचल में अवैज्ञानिक खनन को आपदा में भारी नुकसान के लिए जिम्मेदार माना गया है। आपदा के कारणों का अध्ययन करने हिमाचल पहुंची केंद्रीय टीम ने भी अवैज्ञानिक तरीके से खनन को आपदा में भारी नुकसान का एक कारण माना है। विधानसभा से लेकर जिला परिषद की बैठकों में वर्षों से अवैध खनन का मुद्दा उठता रहा है, लेकिन स्थिति जस की तस है। कई राजनेताओं पर भी खनन माफिया को संरक्षण के आरोप लगते रहे हैं। नालागढ़, बद्दी और ऊना जैसे इलाकों में खनन माफिया की ओर से हमले करने के भी कई मामले सामने आ चुके हैं।

राज्य में वैज्ञानिक तरीके से खनन, पर्यावरण सुरक्षा और खनिज संपदा के संरक्षण के लिए खनिज नीति 2024 अधिसूचित है। नीति के तहत यदि अवैध खनन से सरकारी संपत्तियों को नुकसान होता है, तो संबंधित विभाग दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करेगा। बीते दिनों प्रदेश की विधानसभा में फतेहपुर के विधायक भवानी सिंह पठानिया ने मामला उठाया कि पंजाब के खनन माफिया ने तो शाहनहर के बैराज को भी नुकसान पहुंचाया है। यह बैराज अचानक टूट गया तो बाढ़ से आसपास रह रहे कई लोगों की लाशें पाकिस्तान पहुंच जाएंगी। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले दो साल में प्रदेशभर में अवैध खनन के 23,429 मामले दर्ज किए गए हैं। इनमें करीब 15 करोड़ का जुर्माना वसूला गया। उद्योग विभाग ने पिछले 4 महीनों में संवेदनशील क्षेत्रों में 900 निरीक्षण किए। इनमें 895 अवैध खनन के मामलों में 44.31 लाख रुपये का जुर्माना किया गया।


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