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नाहन में दिवाली और दशहरा की खुशियों में मुस्लिम कारीगरों का योगदान

                                 त्यौहारों में साम्प्रदायिक सौहार्द्र का मिसाल: नाहन के मुस्लिम कारीगर

सिरमौर,ब्यूरो रिपोर्ट 

धार्मिक सौहार्द की मिसाल पेश करते हुए रियासतकालीन नाहन शहर के चौगान मैदान में मनाए जाने वाले हिंदुओं के दशहरा उत्सव में एक मुस्लिम परिवार, साल-दर-साल खुशियों के रंग भरने का कार्य कर रहा है। यह परिवार रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतले बनाते हुए इस बात का ख्याल रखता है कि दशहरा के खास दिन हिंदू लोग रावण के पुतले को देखकर वैसा ही महसूस करें जैसा कि उन्होंने उसके बारे में सुना और पढ़ा है। 

दशहरे के दिन जब हिंदू लोग बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में इन पुतलों को जलाते हैं तो उनको भी बहुत खुशी होती है।यहां बात हो रही है उस मुस्लिम परिवार की जो दशहरा से 9-10 दिन पहले नाहन आकर रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतले बनाने में जुट जाता है। उत्तर प्रदेश के जिला शामली के थाना कस्बा निवासी मोहम्मद सद्दाम और सलीम अहमद का परिवार पिछले कई साल से नाहन में मनाए जाने वाले दशहरा उत्सव के लिए रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतले तैयार कर रहा है। इस परिवार के 9 से 10 लोग इन पुतलों को बनाने के लिए सात दिन से नाहन में डटे हुए हैं और देर रात तक कार्य कर रहे हैं। पुतलों के निर्माण के साथ-साथ इनमें आतिशबाजी भरने का कार्य भी यही परिवार कर रहा है। 

उन्होंने बताया कि यह उनका बेशक खानदानी पेशा है लेकिन पूरा परिवार इस पर्व में जरूर शामिल होता है।1621 में बसे ऐतिहासिक नाहन शहर के चौगान मैदान में दशहरा पर 40 फुट ऊंचे रावण के पुतले का दहन होगा। इसके साथ ही 35 फुट ऊंचे कुंभकर्ण और मेघनाद के भी पुतले जलाए जाएंगे। आतिशबाजी और सतरंगी रोशनी के साथ यह पर्व शहर में धूमधाम के साथ मनाया जाएगा।हिंदुओं के सबसे बड़े पर्व दिवाली और दशहरा की रौनक मुस्लिमों के बिना अधूरी ही है। दशहरा पर जहां रावण के पुतलों का निर्माण मुस्लिम कारीगर ही करते हैं। वहीं इस समुदाय के लोग दिवाली पर भी खूब खरीदारी करते हैं और पटाखे भी फोड़ते हैं। नगर परिषद नाहन की अध्यक्ष श्यामा पुंडीर ने बताया कि दशहरा पर्व पर पुतला निर्माण पर 1.45 लाख रुपये की राशि खर्च की जा रही है। दूसरी आतिशबाजी और अन्य कार्यों के लिए अलग से बजट खर्च किया जा रहा है।


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