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बहनें एक-दूसरे की कलाई पर बांध रहीं प्यार का धागा

                                     बहनें उदास न हों, इसी मकसद से बहना दूज की हुई शुरुआत

ऊना,ब्यूरो रिपोर्ट 

घर में भाई नहीं होने पर प्रदेश के आठ जिलों की महिलाएं बहना दूज की रस्म निभा रही हैं।ऊना जिला मुख्यालय के एमसी पार्क में चार ब्लॉकों की महिलाओं ने बहना दूज की रस्म पूरी की। महिलाओं ने एक-दूसरे की कलाई पर पहले धागा बांधा, टीका लगाया और मुंह मीठा करवाकर साथ निभाने का वचन लिया।

 बुजुर्ग माताएं भी रस्म का हिस्सा बनीं। पार्क में बैठीं गगरेट ब्लॉक की जिला समन्वयक सोनिका ठाकुर, स्वर्णी देवी, राधा रानी, कौशल्या देवी, अंचित भारती, रीना ठाकुर बताती हैं कि समाज में कई बहनें ऐसी हैं, जिनके भाई नहीं हैं। बहनें उदास न हों, इसी मकसद से बहना दूज की शुरुआत की है।जिला मुख्यालय के साथ ब्लॉक और गांवों में भी यह परंपरा निभाई जा रही है। सोनिका ने बताया कि उनकी दो बेटियों ने घर पर रस्म को पूरा किया। एकल नारी शक्ति संगठन के बैनर तले महिलाएं आठ जिलों ऊना, मंडी, चंबा, कांगड़ा, सिरमौर, बिलासपुर, शिमला और सोलन में इस परंपरा का निर्वहन कर रही हैं। प्रदेश के 28 ब्लॉकों की करीब 600 पंचायतों की 20,870 महिलाएं इस संगठन जुड़ी हैं।

 27 अक्तूबर को राज्य स्तरीय बहना दूज सिरमौर जिला के शिलाई में आयोजित किया जाएगा। समारोह में सरकारी अधिकारियों समेत विधायक भी हिस्सा लेंगे। प्रदेशभर की महिलाएं समारोह में शामिल होंगी। बहना दूज पर्व एक सप्ताह तक प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में मनाया जा रहा है। राष्ट्रीय एकल नारी शक्ति अधिकार मंच की राष्ट्रीय अध्यक्ष निर्मल चंदेल बताती हैं कि 2012 में वह फील्ड में जाते थे तो कई बहनें कहती थीं कि काश उनका कोई भाई होता। भैया दूज के बहाने उनसे मिलने जातीं। भाई की कमी उन्हें बहुत महसूस होती थी। तभी से इस परंपरा की शुरुआत की। अब जिनके भाई नहीं हैं, वह महिलाएं इकट्ठी होकर इस पर्व को मना रही हैं। अन्य महिलाएं भी इसमें हिस्सा ले रही हैं। सभी बेहद खुश होती हैं।



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