एक साल में 76 हजार मरीज पहुंचे अस्पताल
शिमला,ब्यूरो रिपोर्ट
हिमाचल प्रदेश में बच्चे, युवा और बुजुर्ग मानसिक तनाव में हैं। एक साल के भीतर ही राज्य में 5,830 रोगी बढ़े हैं। इन रोगियों का अस्पताल में इलाज चल रहा है। मानसिक रोगों के मरीजों की संख्या में इजाफा होने से राज्य का स्वास्थ्य विभाग अलर्ट है। युवाओं में नशे की लत, बच्चों पर पढ़ाई का तनाव और बुजुर्गों को वित्तीय दिक्कत होने के कारण यह बीमारी बढ़ रही है। प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य परिवार कल्याण विभाग की वार्षिक रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है।स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के इस वार्षिक प्रतिवेदन 2024-25 को रिलीज किया है। इस रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश के अस्पतालों में एक साल के भीतर 76,237 मनोरोगी इलाज के लिए पहुंचे।
इसमें से 7,209 रोगी अस्पताल में भर्ती हुए।वहीं, वर्ष 2023-24 की बात करें तो अस्पतालों में 70,407 रोगी अस्पतालों में उपचार के लिए पहुंचे। इसमें 5,453 लोग भर्ती हुए थे। अभिभावक चिट्टे से ग्रस्त बच्चों को नशा निवारण केंद्र में जाने के बजाय अस्पताल में भर्ती करवा रहे हैं। दो-तीन महीने अस्पताल में भर्ती करने के बाद इन्हें घर भेजा जा रहा है। डाॅक्टरों का मानना है कि बच्चों पर पढ़ाई का भी दबाव है। पढ़ाई में प्रतिस्पर्धा के चलते कई बच्चे तनाव में जा रहे हैं, जबकि अभिभावक भी अपने बच्चों पर पढ़ाई का दबाव बनाते हैं। ऐसे में बच्चे रोगी बन रहे हैं। हिमाचल के बुजुर्ग ऑनलाइन ठगी का शिकार हो रहे हैं।
साइबर शातिर बुजुर्गों को ऑनलाइन ठगी का शिकार बना रहे हैं। खातों से लाखों रुपये की राशि उड़ाई जा रही है। कई बार परिवार में किसी की मृत्यु हो जाने के बाद भी उनके बच्चे मानसिक तनाव में जा रहे हैं। अस्पतालों में इस तरह के मामले प्रतिदिन पहुंच रहे हैं।आईजीएमसी शिमला के मनोचिकित्सा विभाग के प्रमुख डॉ. दिनेश दत्त शर्मा ने बताया कि अस्पतालों में आ रहे मरीजों को ठीक कर घर भेजा जा रहा है। ज्यादातर नशे के आदि युवा मनोरोगी बन रहे हैं। बच्चों पर बढ़ाई का दबाव भी ज्यादा है। आर्थिक कारणों से भी लोग डिप्रेशन में जा रहे हैं। घबराहट भी इसका एक कारण है।
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