जांच में फर्जीवाड़ा साबित होने पर आरोपी गिरफ्तार
मंडी, ब्यूरो रिपोर्ट
फर्जी ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रूप से कमजोर) प्रमाणपत्र के जरिये आयुर्वेद डॉक्टर की नौकरी हथियाने का मामला सामने आने के बाद राज्य सतर्कता एवं भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो मंडी (विजिलेंस) सतर्क हो गया है। अन्य भर्तियों में भी ईडब्ल्यूएस से नौकरी लेने वालों की जांच पड़ताल की जा रही है। दस्तावेजों का सत्यापन किया जाएगा। विजिलेंस का शिकंजा कसता देख इस मामले में एक आरोपी डॉक्टर जमानत के लिए हाईकोर्ट पहुंचा। जमानत याचिका खारिज होने के बाद विजिलेंस ने बीते दिनों उसे गिरफ्तार कर लिया। अदालत से रिमांड के दौरान विजिलेंस टीम ने तथ्य जुटाए। शनिवार को अदालत ने आरोपी डॉक्टर को 14 दिन के न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।
इस मामले में प्रमाणपत्र जारी करने वाले राजस्व अधिकारी भी जांच के दायरे में है, जिन्होंने आवेदन के बाद सही तरीके से सत्यापन नहीं किया। लोक मित्र केंद्र से आवेदन के बाद धड़ल्ले से ही प्रमाणपत्र जारी कर दिया। आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए प्रदेश सरकार की नीति के अनुसार जांच पड़ताल के बाद ही यह प्रमाणपत्र मिलना था। विजिलेंस यह पता लगा रही है कि फर्जी तरीके से आखिर यह प्रमाण पत्र कैसे और किसने जारी किए। किसी भी तरह की मिलीभगत सामने आते और तथ्य मिलने पर गाज गिरेग। इस मामले में और गिरफ्तारियां संभावित हैं। मंडी जिले से संबंधित चार आयुर्वेदिक डॉक्टर में से एक की गिरफ्तारी हो चुकी है, लेकिन अन्य पर भी गिरफ्तारी की तलवार लटकी हुई है। तथ्य पुख्ता होते ही विजिलेंस नियमानुसार कार्रवाई करेगी।
बता दें कि बीते कुछ माह पहले कांगड़ा जिले के बैजनाथ निवासी एक महिला ने आरोप लगाया था कि आयुर्वेदिक विभाग में कुछ डाॅक्टरों ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग का फर्जी प्रमाणपत्र तैयार करके आयुर्वेदिक डॉक्टर की नौकरी प्राप्त की है। जिला मंडी के चार उम्मीदवारों के ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्र की जांच संबंधित तहसीलदारों के माध्यम से करवाई गई तो पाया गया कि प्रमाण पत्र फर्जी हैं। इस पर विजिलेंस मंडी ने टिहरा, छतरी, चुराग और हीरानगर के चार लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 420, 465, 467, 468, 471 के तहत प्राथमिकी दर्ज की थी।


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