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हिमाचल सरकार डा. परमार के सपनों को साकार करने के लिए प्रयासरतः मुख्यमंत्री


  • शिमला 4 अगस्त,अरविंद शर्मा
    मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने हिमाचल प्रदेश के निर्माता और प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री डाॅ. यशवंत सिंह परमार की 114वीं जयंती के अवसर पर यहां आयोजित सादे व गरिमापूर्ण समारोह में उन्हें प्रदेश के लोगों की ओर से पुष्पांजलि अर्पित की।




समारोह की अध्यक्षता करते हुए जय राम ठाकुर ने कहा कि डाॅ. परमार एक महान दूरदर्शी नेता थे जिन्होंने तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद इस पहाड़ी राज्य की अपनी अलग पहचान बनाए रखते हुए राज्य का नेतृत्व किया। उन्होंने प्रदेश की मजबूत नींव रखते हुए यह सुनिश्चित किया कि हिमाचल प्रदेश देश के अन्य पहाड़ी राज्यों के लिए एक आदर्श राज्य बनकर उभरे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि डाॅ. परमार ने पंजाब के उन पहाड़ी क्षेत्रों का हिमाचल प्रदेश के साथ विलय का अनुरोध किया जिनकी संस्कृति और जीवन शैली एक समान थी। उनकी दूरदर्शी सोच के कारण ही राज्य की कृषि अर्थव्यवस्था, विशेष रूप से बागवानी क्षेत्र में तीव्र गति से विकास हुआ। उन्होंने कहा कि डाॅ. परमार एक बहुआयामी प्रतिभा के व्यक्ति थे, जिन्होंने अपनी सादगी से राज्य के लाखों लोगों के दिलों में अपनी अमिट छाप छोड़ी। उनके अथक प्रयासों के कारण ही हिमाचल प्रदेश भारतीय संघ का 18वां राज्य बना और तब से प्रदेश विकास और समृद्धि के पथ पर तेजी से आगे बढ़ा है।

जय राम ठाकुर ने कहा कि राज्य सरकार हिमाचल प्रदेश को विकसित, समृद्ध और आदर्श राज्य बनाकर डाॅ. परमार के सपने को साकार करने के लिए प्रयासरत है। वह एक दूरदर्शी नेता थे जिन्होंने ऐसे राज्य की कल्पना की जहां हर नागरिक को प्रगति और समृद्धि का अवसर मिले। उन्होंने कहा कि राजनीतिक विचारों से ऊपर उठकर डाॅ. परमार का सम्मान सभी क्षेत्रों के लोगों ने किया। पूर्व में यह दिन विधानसभा के एक छोटे से पुस्तकालय सभागार में मनाया जाता रहा और पिछले साल यह निर्णय लिया गया कि इस अवसर को धूमधाम से मनाया जाए जिसके परिणामस्वरूप आज इसे पीटरहाॅफ होटल में आयोजित किया गया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि डाॅ. परमार जानते थे कि सड़कें इस पहाड़ी राज्य के विकास की भाग्य रेखा हैं, इसलिए उन्होंने राज्य में सड़कों के निर्माण पर विशेष बल दिया। डाॅ. परमार किसानों को नकदी फसलों की खेती के लिए प्रेरित करने के पक्ष में थे। उनकी प्रेरणा से ही लोगों ने सेब की खेती शुरू की, जो आज 5000 करोड़ रूपये की अर्थव्यवस्था के रूप में उभरी है। उनके दृष्टिकोण के कारण ही यह संभव हुआ है कि हिमाचल प्रदेश अपनी वन संपदा की रक्षा कर रहा है।

जय राम ठाकुर ने कहा कि हिमाचल के सभी मुख्यमंत्रियों ने प्रदेश के विकास व उन्नति के लिए अपना विशेष योगदान दिया है। वर्तमान प्रदेश सरकार डाॅ. परमार के मजबूत, विविध और आत्मनिर्भर हिमाचल प्रदेश के सपने को साकार करने के लिए प्रयासरत है। प्रदेश सरकार ने हिमाचल प्रदेश के 50वें राजस्व दिवस को धूमधाम से मनाने का निर्णय लिया था, परन्तु कोविड-19 महामारी के दृष्टिगत यह संभव नहीं हो पाया।

इससे पूर्व, मुख्यमंत्री ने डाॅ. परमार को विधानसभा परिसर में पुष्पांजलि अर्पित की, जहां विधानसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष, विपक्ष के नेता, मंत्रीमण्डल के सदस्य, विधायक और पूर्व विधायक भी शामिल हुए।

विधानसभा अध्यक्ष विपिन सिंह परमार ने कहा कि हिमाचल प्रदेश आज आर्दश राज्य के रूप में उभरा है और डाॅ. परमार द्वारा निर्धारित मजबूत आधार के कारण प्रगति और समृद्धि के मार्ग पर लगातार आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि डाॅ. परमार ने केंद्र को एहसास दिलाया कि पहाड़ी राज्य की विकासात्मक जरूरतें देश के अन्य राज्यों से अलग हैं। उन्होंने राज्य के समग्र विकास को सुनिश्चित करने के लिए सड़कों के निर्माण, बिजली उत्पादन और बागवानी और कृषि क्षेत्रों को बढ़ावा देने पर विशेष बल दिया। उन्होंने कहा कि डाॅ. परमार को राज्य और राज्य के लोगों की संस्कृति, परंपराओं और जीवन शैली के बारे में गहरी जानकारी थी।

नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश की यात्रा वास्तव में डाॅ. परमार की कठिन परिश्रम की यात्रा हैं। उन्होंने कहा कि इस पहाड़ी राज्य को अलग पहचान देने के लिए सभी सुख-सुविधाओं को त्याग कर संघर्ष के पथ को चुना। हिमाचल प्रदेश के इतिहास में 25 जनवरी, 1971 एक स्वर्णिम दिवस है क्योंकि डाॅ. परमार के कठिन परिश्रम से हिमाचल प्रदेश को राज्यत्व की अलग पहचान प्राप्त हुई। उन्होंने कहा कि भूमि सुधार अधिनियम भी डाॅ. परमार का बहुत योगदान है। उन्होंने राज्य सरकार द्वारा डाॅ. परमार की जयंति को धूमधाम से आयोजित करने के प्रयासों की सराहना की।

शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि डाॅ. परमार एक दूरदर्शी नेता थे जिन्होंने इस पहाड़ी राज्य के विकास के लिए अनगिनत प्रगतिशील योजनाएं बनाईं। राज्य की विपरीत भौगोलिक परिस्थितियों के दृष्टिगत डाॅ. परमार ने समाज के गरीब और कमजोर वर्गों के उत्थान पर विशेष बल दिया। उन्होंने कहा कि उन्हीं के ही कुशल नेतृत्व के कारण हिमाचल प्रदेश को पूर्ण राज्यत्व का दर्जा प्राप्त हुआ। यह एक कठिन कार्य था क्योंकि पंजाब के ज्यादातर नेता हिमाचल प्रदेश को पंजाब में शामिल करने के पक्ष में थे।

इस अवसर पर प्रदेश के सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग द्वारा डाॅ. परमार के जीवन पर आधारित तैयार किया गया वृतचित्र भी दिखाया गया।

डाॅ. ओम प्रकाश शर्मा ने डाॅ. परमार द्वारा हिमाचल प्रदेश को एक अलग पहचान दिलाने के लिए दिए गए योगदान और उनके जीवन पर आधारित पत्र भी प्रस्तुत किए।

कृषि, ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री वीरेन्द्र कंवर, स्वास्थ्य मंत्री डाॅ. राजीव सैजल, विधानसभा उपाध्यक्ष हंस राज, विधायक डा. (कर्नल) धनी राम शांडिल, इन्द्र सिंह गांधी, विनय कुमार, विक्रमादित्य सिंह, आशीष बुटेल, मुल्ख राज प्रेमी, बलवीर सिंह, अरूण कुमार, रीना कश्यप व विशाल नेहरिया, नगर निगम शिमला की महापौर सत्या कौंडल, मुख्य सचिव अनिल खाची, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव जे.सी. शर्मा, सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव देवेश कुमार, उपायुक्त शिमला अमित कश्यप, सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग के निदेशक हरबंस सिंह ब्रसकोन सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

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