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पिछले 20 वर्षों से दो पुलों की टूटी रेलिंग के कारण 7 की मौत, दर्जनों हुए घायल

राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की बड़ी लापरवाही, आंखों का चेकअप करवाने आया परिवार दुर्घटना ग्रस्त परिवार के दो लोग पहुंचे मौत के आगोश में


इस तरह की घटनाओं से लोगों का विभाग के प्रति बढ़ा आक्रोश



  • पालमपुर ,सुरेश सूद बरिष्ठ पत्रकार।
    पालमपुर व मरण्डा के बीच राष्ट्रीय राजमार्ग में पिछले 20 वर्षों से दो पुलों की क्षतिग्रस्त रेलिंग को आज तक न लगाए जाने की वजह से शनिवार दोपहर एक गाड़ी के लुढ़क जाने से दो ओर लोगों की मौत हो गई।




राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की इस बड़ी लापरवाही से अभी तक 7 लोग मौत की आगोश में जा चुके हैं व दर्जनों घायल हुए हैं। कुछ ही दिन पहले 200 मीटर के दायरे में बने जानलेवा इन संकरे पुलों में से एक काला पुल की रेलिंग लगा दी गई है। जबकि भीरल खड्ड की रेलिंग टूटी होने की वजह से एक नैनो गाड़ी सीधी खड्ड में जा गिरी ।
जिससे जोगिंदर नगर के एक परिवार ने अपने दो सदस्य हमेशा के लिए खो दिए। यह परिवार अपनी आंखों का चेकअप करवाने के लिए मरण्डा आया हुआ था लेकिन उन्हें क्या पता था कि उन्हें जान से हाथ धोना पड़ेगा। इस पुल पर से रोजाना सैकड़ों वाहन गुजरते हैं तथा हमेशा ही कुछ ना कुछ अनहोनी का अंदेशा हमेशा बना रहता है। इसी पुल से पालमपुर के एक युवा व्यापारी विजय पुन, एक कृषि विश्वविद्यालय के पूर्व कर्मचारी, वह एक अन्य व्यक्ति के वाहन सहित लुढ़कने से मौत हो चुकी है।
इसी तरह 2002 में साथ लगते काला नाला पुल पर भी रेलिंग न होने के कारण वाहन लुढ़कने से पुड़वा निवासी प्रेमचंद गोयल की मौत हो गई थी। दुर्भाग्य की बात है कि पिछले दिनों 20 वर्ष बाद भी संबधित विभाग एक पुल की ही रेलिंग ही ठीक करवा पाया है।


खेद का विषय है कि रेलिंग लगवाना तो दूर, अगर यहां चेतावनी बोर्ड ही लगवा दिए जाते तो ऐसी घटनाओं पर कुछ विराम लग जाता। भिरल खड्ड के साथ रहने वाले राम कृष्ण ने बताया कि इस संकरे पुल पर हर दूसरे तीसरे दिन छोटी बड़ी दुर्घटनाएं होती रहती है।
इस विषय पर पालमपुर प्रशासन ने कड़ा संज्ञान लिया है तथा तहसीलदार बेद प्रकाश अग्निहोत्री ने बताया कि उन्हें जल्द इस व्यवस्था का सुधार करने की बात कही गई है तो वहीं दूसरी ओर विभाग से संपर्क नहीं हो सका।

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