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अनुराग ठाकुर ने किया सीएसआईआर-आईएचबीटी दौरा

पालमपुर, 1 मार्च वित्त एवं काॅरपोरेट मामले, राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर, ने सोमवार को सीएसआईआर-हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान, पालमपुर का दौरा किया।
वैज्ञानिकों और किसानों को सम्बोधित करते हुए अनुराग ठाकुर, ने संस्थान द्वारा किए जा रहे शोध कार्यों की सराहना करते हुए आशा व्यक्त की कि संस्थान द्वारा विकसित औषधीय, सगंध एवं पुष्प फसलों की कृषि प्रौद्योगिकियाॅं प्रदेश के किसानों को आत्मनिर्भता की ओर ले जा सकतीं हैं। उन्होने बताया कि सरकार ने देश में वैज्ञानिक गतिविधियों एवं शोध के लिए नेशनल रिसर्च फांउडेशन का गठन किया है जिसके तहत 50 हजार करोड़ रुपये का बजट में प्रावधान किया गया है। उन्होंने किसानों, उद्यमियों से आह्वान किया कि वे संस्थान द्वारा विकसित व्यवसायिक फसलों को अपने क्षेत्र में पैदा करें और अपनी आय को बढ़ाकर समाज में समृद्धि लाएं। अपने संबोधन में उन्होंने शोध को प्रयोगशाला से खेतों तक पंहुचाने का आह्वान किया ताकि किसान शोध का लाभ उठाकर अपनी फसल का मूल्यवर्धन करके ज्ञान आधारित आर्थिकी की ओर अग्रसर हो सकें। उन्होंने संस्थान के वैज्ञानिकों से अनुरोध किया कि वे किए जा रहे शोध और विकसित प्रौद्योगिकियों का प्रचार-प्रसार करें ताकि किसान, उद्यमी एवं संबन्धित लोग इसको अपनाकर लाभ उठा सकंे। साथ ही वे किसानों और उद्यमियों के समूहों का गठन करें और फसल विशेष के लिए कलस्टर तैयार हो सके। इसके लिए उन्होंने सरकार की ओर से हर संभव सहायता का आशवासन भी दिया। उन्होंने संस्थान की शोध सुविधाओं तथा प्रदर्शनी का अवलोकन किया। उन्होंने संस्थान में उपस्थित स्टार्टअप्स, इनक्यूबेटी, उद्यमियों एवं प्रगतिशील किसानों के साथ विचार-विमर्श करके उनके कार्यों की जानकारी प्राप्त की। उनके द्वारा समारोह में ‘सीएसआईआर अरोमा मिशन’ के अन्तर्गत जंगली गेंदा के बीजों का वितरण किया गया। फ्लोरिकल्चर मिशन के अन्तर्गत ग्लेडियोलस और एल्स्ट्रेमेरिया की रोपण सामग्री का वितरण भी किया।
उन्होंने कोविड -19 काल में किए गए प्रयासों के लिए संस्थान निदेशक एवं उनकी टीम के सामुहिक योगदान की सराहना की।
मंत्री की उपस्थिति में संस्थान ने राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, जालंधर के साथ शैक्षणिक एवं शोध एवं विकास पर परस्पर सहयोग के लिए एक समझौता ज्ञापन किया। इसके अतिरिक्त चार उद्यमियों के साथ प्रौद्योगिकी हस्तांतरण एवं उत्पाद विकसित करने के लिए समझौता भी हुआ।
इससे पहले अनुराग ठाकुर ने संस्थान के आवासीय परिसर की आधारशिला रखी। समारोह में मंत्री ने ‘टयूलिप की कृषि तकनीक’ तथा ‘गैर परम्परागत क्षेत्रों में केसर की कृषि तकनीक’ पर विवरणिकाओं का विमोचन भी किया। इस अवसर पर संस्थान गान के दूसरे संस्करण का विमोचन भी किया।



संस्थान के निदेशक डा. संजय कुमार ने मंत्री का स्वागत करते हुए उन्हंे संस्थान की शोध एवं विकास गतिविधियों से अवगत कराया। निदेशक ने मंत्री एवं अतिथियों का स्वागत करते हुए संस्थान की प्रमुख उपलब्धियों एवं गतिविधियों का विवरण प्रस्तुत करते हुए बताया कि शिमेगो संस्थागत रैंकिंग में संस्थान ने सीएसआईआर के 38 संस्थानों में 9 वां स्थान प्राप्त किया है। संस्थान द्वारा किसानों को सुगंधित फसलें विशेषकर जंगली गेंदे को उगाने एवं इसके प्रसंस्करण के लिए अलग-अलग राज्यों में आसवन इकाइयाँ स्थापित की गईं। संस्थान, हिमाचल प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में जंगली गेंदे, दमस्क गुलाब, नींबू घास, सुगंधबाला आदि जैसे सुगंधित फसल¨ं की खेती और प्रसंस्करण द्वारा किसानों की आय बढ़ाने में सक्रिय भूमिका निभा रहा है जिससे किसान परम्परागत फसलों की अपेक्षा अधिक आय प्राप्त करके आत्मनिर्भता की ओर बढ़ रहे हैं। प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से किसानों, बेरोजगार युवाओं, उद्यमियों में क्षमता निर्माण एक महत्वपूर्ण पक्ष रहा। पुष्पखेती एवं शहद उत्पादन के क्षेत्र में हजारों लोगों को जोड़ा जा रहा है। राज्य के लाहौल और स्पीति जिला में हींग तथा चंबा, कुल्लू और मंडी जिलों में केसर की खेती के लिए किसानों को रोपण सामग्री को उपलब्ध कराने के साथ-साथ व्यवसायिक रूप से महत्वपूर्ण ‘मसाला फसलों की खेती के कार्यक्रम’ की सफलता से न केवल युवाओं को रोजगार मिलेगा अपितु किसानों की आय में भी वृद्धि होगी। इसके अतिरिक्त संस्थान ने पोषण हेतु आयरन, प्रोटीन और फाइबर युक्त उत्पादों को भी विकसित किया है। विटामिन डी से भरपूर सिटाके मशरुम केप्सूल को तैयार किया गया है तथा इस मशरुम की खेती के लिए किसानों को प्रेरित किया जा रहा है।

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