छात्रा को बोर्ड की लापरवाही का खामियाजा भुगतना पड़ा
शिमला,ब्यूरो रिपोर्ट
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड को छात्रा यशस्विनी अग्रवाल को दसवीं की मेरिट लिस्ट में शामिल करने का आदेश दिया है। न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की अदालत ने बोर्ड पर 25 हजार रुपये जुर्माना लगाते हुए इस राशि को चार सप्ताह के भीतर छात्रा को देने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने बोर्ड को निर्देश दिया है कि वह छात्रा का नाम तुरंत मेरिट लिस्ट में शामिल करें और उसे छात्रवृत्ति सहित सभी लाभ प्रदान करें।
अदालत ने कहा कि छात्रा को उसकी योग्यता का सम्मान देने के बजाय उसे न्याय के लिए कोर्ट आने पर मजबूर किया, जो बेहद निंदनीय है। छात्रा को बोर्ड की लापरवाही का खामियाजा भुगतना पड़ा।उल्लेखनीय है कि याचिकाकर्ता ददाहू (सिरमौर) अदालत से की छात्रा ने मार्च 2024 में दसवीं की परीक्षा दी थी। शुरुआती परिणामों में उसे 700 में से 686 अंक मिले। अपने अंकों से असंतुष्ट होकर उसने पुनर्मूल्यांकन के लिए आवेदन किया। इसके बाद उसके अंक बढ़कर 693 हो गए। इन बड़े हुए अंकों के साथ वह शीर्ष 10 मेधावी छात्रों में शामिल हो गईं। हालांकि, बोर्ड ने उसे मेरिट सर्टिफिकेट जारी करने से इन्कार कर दिया। बोर्ड का तर्क था की छात्रा के दस्तावेज 30 अगस्त 2024 की अंतिम तिथि के बाद 9 सितंबर 2024 को जमा किए गए थे। बोर्ड ने इसके लिए स्कूल मुख्याध्यापक को जिम्मेदार ठहराया था।
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने बीएड कॉलेज एसोसिएशन को बड़ी राहत देते हुए काउंसलिंग प्रक्रिया में शामिल होने के लिए अंतरिम अनुमति दे दी है। न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की अदालत ने यह अंतरिम राहत केवल उन कॉलेजों को दी है जो समय के भीतर फीस जमा कर पाएंगे। मामले की सुनवाई के दौरान रजिस्ट्रार ज्ञान सिंह नेगी कोर्ट में उपस्थित थे। उन्होंने अदालत को बताया कि 16 सितंबर 2023 की पिछले आदेश के अनुसार संगठन के सदस्यों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की गई है। इस पर संगठन के अधिवक्ता की ओर से कोर्ट को आश्वासन दिया गया कि की दो दिनों के भीतर यानी 2 अगस्त की शाम 5:00 बजे तक निरीक्षण शुल्क और संबद्धता शुल्क जमा कर दिए जाएंगे। हाईकोर्ट में प्रतिवादी निशांत सरीन को सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों पर हलफनामा दाखिल करने की निर्देश दिए हैं। मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावालिया और न्यायाधीश रंजन शर्मा की खंडपीठ ने कहा है कि हलफनामे में 11 अप्रैल 2023 की सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के संबंध में स्पष्ट किया जाएगा कि क्या उसने ट्रायल कोर्ट के सामने आत्मसमर्पण किया था और इसके समर्थन में आवश्यक दस्तावेज भी रिकॉर्ड पर पेश करें।
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