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केसर के नाम पर कुसुंभ नामक पौधे की खेती कर रहे हैं किसान, धोखे से रहें सावधान

           राष्ट्रीय औषध पादप बोर्ड के उत्तर भारत के क्षेत्रीय कार्यालय जोगिन्दर नगर ने जारी की एडवाइजरी

जोगिन्दर नगर, लटावा 

राष्ट्रीय औषध पादप बोर्ड के उत्तर भारत के क्षेत्रीय कार्यालय जोगिन्दर नगर ने जारी की एडवाइजरी जोगिन्दर नगर नगर, 28 अप्रैल-देखने में आया है कि आजकल कुछ किसान प्रदेश के कम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में केसर की खेती होने का दावा कर रहे हैं। साथ ही केसर के नाम पर किसानों को किसी अन्य प्रकार के पौधे का बीज देकर इस खेती के लिए प्रोत्साहित भी किया जा रहा है। लेकिन जब किसान अपनी तैयार फसल को लेकर मार्केट में पहुंच रहे है तो वे स्वयं को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। उन्हें न तो उनके द्वारा तैयार तथाकथित केसर की खेती के दाम मिल रहे हैं बल्कि किसानों को परेशानी का सामना भी करना पड़ रहा है। 

इस संबंध में हिमाचल प्रदेश के जिला बिलासपुर व हमीरपुर के कुछ उष्णकटिबंधीय या उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में केसर उगाने की सलाह भी दी गई है। इस बारे कई समाचार पत्रों के माध्यम से भी इन क्षेत्रों में केसर की खेती होने के समाचार भी प्रकाशित होते रहे हैं।इस संबंध में आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान जोगिन्दर नगर स्थित आयुष मंत्रालय भारत सरकार के राष्ट्रीय औषध पादप बोर्ड के उत्तरी भारत राज्यों के क्षेत्रीय सुगमता केंद्र के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. अरुण चंदन द्वारा एक एडवाइजरी जारी करके किसानों को सावधान रहने का सुझाव दिया गया है। उनका कहना है कि किसान असल में केसर के नाम पर 'कुसुंभÓ नामक पौधे की खेती कर रहे हैं। यह बहुत कम कीमत वाली फसल है और केसर की तुलना में मार्केट में बहुत कम दाम मिलते हैं।उन्होने बताया कि असली केसर एक बहुत अधिक कीमत वाली फसल है जिसे 6 हजार से लेकर 8 हजार फीट की ऊंचाई के बीच अर्ध ठंडे रेगिस्तानी पारिस्थितिकी में ही उगाया जा सकता है। केसर को उष्णकटिबंधीय कृषि जलवायु वाली परिस्थितियों में तैयार नहीं किया जा सकता है। ऐसे में प्रदेश के निचले क्षेत्रों में केसर की खेती करने का दावा न केवल भ्रामक है बल्कि किसानों के साथ एक धोखा भी है।

उन्होने बताया कि असली केसर समशीतोष्ण क्षेत्र की फसल है। इसका वानस्पतिक नाम क्रोकस सैटिवस है। इसकी खेती कॉर्म के माध्यम से ही की जा सकती है। जबकि कुसुंभ (सैफलॉवर) कार्थमस टिक्टोरियम है। इसकी खेती बीज द्वारा की जाती है तथा यह उष्णकटिबंधीय क्षेत्र की फसल है। ऐसे में यदि कोई किसानों को उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में केसर उगाने की सलाह देता है तो वे केसर के नाम पर गलत प्रजाति की खेती कर सकते हैं। एडवाइजरी में कहा गया है किसान ऐसे किसी भी दावे से भ्रमित न हों और 18001205778 राष्ट्रीय हेल्पलाइन से जानकारी ले सकते हैं !दुनिया भर में केसर की खेती केवल कुछेक देशों जिनमें ईरान, ग्रीस, मोरक्को, स्पेन, इटली, तुर्की, फ्रांस, स्विट्जरलैंड, पाकिस्तान, चीन, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल है में ही की जाती है। भारत में केसर की खेती का 90 प्रतिशत उत्पादन अकेले जम्मू एवं कश्मीर क्षेत्र जिनमें बारामूला और बडगाम जिले प्रमुख हैं में ही किया जाता है। इसके अतिरिक्त हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम, अरूणाचल प्रदेश की जलवायु भी उपयुक्त है।डॉ. अरूण चंदन ने उत्तर भारत के किसानों विशेषकर प्रदेशवासियों से इस संबंध में कहा कि किसी भी प्रकार की जानकारी वे सीधे राष्ट्रीय औषध पादप बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय जोगिन्दर नगर से प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा वे राष्ट्रीय हेल्पलाइन नम्बर की भी मदद ले सकते हैं।


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