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क्रिप्टोकरेंसी में निवेश का झांसा देकर लोगों को ठगने के लिए आरोपियों ने चार करोड़ रुपये से तैयार किया सॉफ्टवेयर

                  लोगों को ठगने के लिए बनाया चार करोड़ से सॉफ्टवेयर, मेरठ के इंजीनियर को सौंपा था काम

शिमला,रिपोर्ट नीरज डोगरा 

क्रिप्टोकरेंसी में निवेश का झांसा देकर लोगों को ठगने के लिए आरोपियों ने चार करोड़ रुपये से तो साॅफ्टवेयर तैयार किया था। मेरठ के इंजीनियर के साथ मिलकर सॉफ्टवेयर तैयार बनाया गया। साॅफ्टवेयर को अपडेट करने का काम भी इंजीनियर को दिया गया था। इसके लिए इंजीनियर को दो करोड़ रुपये दिए गए। मामले में गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ के दौरान यह खुलासा हुआ है। एसआईटी का मानना है कि क्रिप्टोकरेंसी ठगी मामले में चार अन्य कंपनियां बनाई हैं।

सॉफ्टवेयर का प्रशिक्षण लेने के सिलसिले में इंजीनियर कई बार दुबई भी गया है। इसके बाद आरोपी ने डिजिटल करेंसी का पूरा खेल समझा। भारत लौटकर सॉफ्टवेयर तैयार किया। शातिर आरोपियों ने फर्जी वेबसाइट भी तैयार की, जिसमें निवेशकों को उनकी आईडी खोलने पर एक डिजिटल करेंसी में दिन-प्रतिदिन बढ़ोतरी दिखती थी। वास्तव में ऐसा नहीं था।दोगुना रिटर्न के लालच में लोगों के समक्ष डिजिटल करेंसी का ऐसा जाल बुना गया कि वे इनके झांसे में आते गए।

 लोगों ने पैसा डबल करने के लालच में निवेश करना शुरू कर दिया। पुलिस एसआईटी क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े हर पहलुओं की गंभीरता से जांच कर रही है। आरोपियों से पूछताछ के चलते एसआईटी जांच आगे बढ़ा रही है। एसआईटी का मानना है कि शातिर आरोपियों ने 4 से 5 सॉफ्टवेयर तैयार किए। इसके अलावा कई फर्जी वेबसाइट भी बनाई है।क्रिप्टोकरेंसी ठगी मामले में अभी और भी गिरफ्तारियां होनी हैं। कई आरोपी पुलिस की गिरफ्तारी के डर से भूमिगत हुए हैं। ऐसे में पुलिस आरोपियों की तलाश कर रही है। डीजीपी पहले ही कह चुके हैं कि मामले में जो भी आरोपी होगा, उसे बख्शा नहीं जाएगा।




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