आपदा में लोग बेघर होकर तंबुओं और शिविरों में रह रहे हैं, कब मिलेगा किराया : जयराम ठाकुर
शिमला,रिपोर्ट नीरज डोगरा
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि सरकार ने आपदा के बाद आपदा प्रभावितों को मकान का किराया देने की घोषणा करके खूब वाहवाही बटोरी। उन्होंने कहा कि लोग तंबुओं और राहत शिविरों में रह रहे हैं लेकिन सरकार की यह योजना परवान नहीं चढ़ी। सरकार के बाक़ी के दावों की तरह यह दावा भी हवा हवाई साबित हो गया है। जयराम ठाकुर ने कहा कि आपदा को आए तीन महीनें से ज़्यादा का समय हो गया है।
सरकार द्वारा इस घोषणा को किए हुए भी लगभग दो महीनें हो गये हैं लेकिन पूरे प्रदेश में लोगों के बीच जाने के बाद भी मुझे सरकार द्वारा किराया दिये जाने की योजना का एक भी लाभार्थी नहीं मिला। जयराम ठाकुर ने कहा कि आपदा के पहले प्रदेश में ऐसा नहीं था कि किसी के पास छत नहीं थी। सबके पास छोटा या बड़ा मकान ज़रूर था। आपदा की वजह से प्रदेश में हज़ारों घर पूरी तरह से और हज़ारों घर आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो गये थे, जो रहने लायक़ नहीं थे। इस आपदा की वजह से प्रदेश में हजारों लोग बेघर हो गए। ऐसे में सरकार द्वारा बेघर लोगों को मकान का किराया देने वाली योजना काफ़ी राहत दे सकती थी लेकिन कांग्रेस सरकार के सारे दावे सिर्फ़ काग़ज़ी निकले जो जिससे सरकार ने वाहवाही लूट ली लेकिन आपदा प्रभावितों को कोई लाभ नहीं हुआ। सरकार आपदा प्रभावितों को राहत देने की बजाय सिर्फ़ कोरी बयानबाज़ी का काम कर रही है।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सरकार ने आपदा प्रभावितों को राहत देने का वादा करते हुए घोषणा की थी कि आपदा की वजह से अपना घर गंवाने वाले प्रभावितों को ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में किराए पर मकान लेने पर किराया दिया जाएगा। ग्रामीण क्षेत्रों में किराए का मकान लेने पर 5 हज़ार रुपये और शहरी क्षेत्रों में 2 से 3 कमरे का मकान लेने पर दस हज़ार रुपये प्रतिमाह का किराया दिया जाएगा। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि आपदा प्रभावितों सैंकड़ों ग्राम पंचायतों में मैंने जाकर देखा कोई भी सरकार द्वार किराया दिये जाने वाली योजना का लाभार्थी नहीं मिला। उन्होंने कहा कि सर्दी का मौसम आ गया है ऐसे में अस्थाई ठिकानों में रहना बहुत मुश्किल कार्य है लेकिन सरकार द्वारा प्रदेश के लोगों से की गई घोषणा का कोई लाभ लोगों को नहीं मिल रहा है। जयराम ठाकुर ने कहा कि आपदा जैसे कठिन समय में सरकार द्वारा की गई इस तरह की कोरी घोषणाएं यह स्पष्ट करती हैं कि सरकार लोगों के प्रति कितनी असंवेदनशील है।
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