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पैसा बचाने के चक्कर में हेलिकॉप्टर से सर्च अभियान को दूसरे नंबर पर रखा गया है

                                    क्रैश लैंडिंग रेस्क्यू अभियान में हेलिकॉप्टर से मदद दूसरी प्राथमिकता

 बैजनाथ,रिपोर्ट रितेश सूद 

पैराग्लाइडिंग के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विख्यात कांगड़ा में क्रैश लैंडिंग का शिकार पैराग्लाइडर पायलटों को बचाने के लिए हेलिकॉप्टर से मदद दूसरी प्राथमिकता है। खर्च बचाने के चक्कर में इसे पहली प्राथमिकता नहीं बनाया है। सूत्रों की मानें तो किसी क्रैश लैंडिंग का शिकार हुए पायलट को बचाने के लिए पहले रेस्क्यू टीम पैदल भेजी जाती है।अंदाजे से धौलाधार की पहाड़ियों में टीम पायलट को ढूंढने का प्रयास करती है। पैदल टीम को रेस्क्यू अभियान में कई घंटे लग जाते हैं। 

रेस्क्यू टीम के असफल होने पर हेलिकॉप्टर की मदद ली जाती है और सर्च अभियान छेड़ा जाता है, जोकि पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। पैसा बचाने के चक्कर में हेलिकॉप्टर से सर्च अभियान को दूसरे नंबर पर रखा गया है।मदद के लिए पहुंचने वाला हेलिकॉप्टर भी दिल्ली या चंडीगढ़ से मंगवाया जाता है, जोकि यहां एक से डेढ़ घंटे बाद पहुंचता है। ऐसे में घायल व्यक्ति मदद पहुंचने से पहले अपना दम तोड़ देता है। कांगड़ा की बीड़ बिलिंग घाटी में अंतरराष्ट्रीय स्तर की पैराग्लाइडिंग उड़ानें होती हैं। सीजन के दौरान रोज 300 से 400 पायलट उड़ानें भरते हैं। इनमें सोलो पायलटों को अपनी उड़ान भरने से पहले साडा के पास पंजीकरण करवाना पड़ता है।

साडा की ओर से कई औपचारिकताएं पूरा करवाने के लिए उनसे फीस वसूली जाती है। फीस में इंश्योरेंस भी शामिल है। फीस भरने, इंश्योरेंस लेने के बाद भी पायलट सुरक्षित नहीं हैं। किसी पायलट को क्रैश लैंडिंग का सामना करना पड़े तो उसे चाहकर भी उसे समय पर मदद नहीं मिल पाती। समय पर मदद न मिलने के कारण कई पायलट काल का ग्रास बन रहे हैं। जब कोई एसोसिएशन यहां पर प्रतियोगिता करवाती है तो सारी जिम्मेदारी वह खुद उठाती है। सुरक्षा के पूरे इंतजाम किए जाते हैं, लेकिन बीड़ बिलिंग में रोज सैकड़ों सोलो पायलट उड़ान भरते हैं, जिसका पंजीकरण साडा के पास होता है। यहां पर न तो कोई माउंटेनियरिंग इंस्टीट्यूट का कोई आदमी अपनी सेवाएं दे रहा है, जो यहां उड़ान की बारीकियों और धौलाधार रेंज की जानकारी दे सके। मदद के लिए हेलिकॉप्टर प्राथमिकता होना चाहिए, ताकि क्रैश लैंडिंग का शिकार हुए किसी पायलट को तुरंत खोज कर बचाया जा सके। 




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