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हिमाचल में आपदा के बाद अब कृषि-बागवानी, पर्यटन पर सूखे की मार

           अगर जनवरी का पूरा महीना सूखा जाता है तो इस साल सेब की फसल टूटने का भी खतरा है

शिमला,ब्यूरो रिपोर्ट 

बरसात में आई आपदा के बाद अब कृषि-बागवानी और पर्यटन कारोबार पर सूखे की मार पड़ी है। दिसंबर के बाद जनवरी में भी अभी तक बर्फबारी और बारिश नहीं हुई है। ऐसे में सेब उत्पादन गिरने के आसार बन गए हैं। सूखे की स्थिति से प्रदेश की 6000 करोड़ की सेब आर्थिकी पर संकट के बादल छा गए हैं। चिलिंग ऑवर पूरे न होने से फ्लावरिंग प्रभावित होने की संभावना है।

दिसंबर और 15 जनवरी से पहले बर्फबारी न होने से बगीचों के बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर बर्फबारी नहीं हुई तो सेब उत्पादन 50 फीसदी तक गिर सकता है। दिसंबर और जनवरी की शुरुआत में होने वाली बर्फबारी से सेब के बगीचों में कीट-पतंगे मर जाते हैं, जिससे बीमारियों को खतरा कम हो जाता है।बर्फबारी न होने से इस साल सेब में अधिक बीमारियां फैलने का खतरा है। 15 जनवरी के बाद तापमान में बढ़ोतरी से चिलिंग ऑवर्स पूरे होने में समस्या पेश आ सकती है। तापमान 7 डिग्री से नीचे आने पर चिलिंग ऑवर्स शुरू होते हैं। सेब की विभिन्न किस्मों के लिए अलग-अलग चिलिंग ऑवर्स की जरूरत रहती है। आमतौर पर सामान्य फसल के लिए 1000 से 1600 घंटे चिलिंग ऑवर्स की जरूरत रहती है।

स्पर और गाला किस्मों के लिए 700 से 900 घंटे, जबकि गुठलीदार फलों के लिए 300 से 500 घंटे चिलिंग ऑवर्स जरूरी होते हैं। चिलिंग ऑवर्स पूरे न होने से असामान्य फ्लावरिंग का खतरा है, जिससे फसल को भारी नुकसान हो सकता है।आमतौर पर सामान्य फसल के लिए 1000 से 1600 घंटे चिलिंग ऑवर की जरूरत रहती है। स्पर और गाला किस्मों के लिए 700 से 900 घंटे, जबकि गुठलीदार फलों के लिए 300 से 500 घंटे चिलिंग ऑवर जरूरी होते हैं। चिलिंग ऑवर पूरे न होने से असामान्य फ्लावरिंग का खतरा है, जिससे फसल को भारी नुकसान हो सकता है।



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