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पूर्व सैनिकों और पैरामिलिट्री सुरक्षा बल सेवानिवृत्तों को शीतकालीन बजट सैशन में बजट से निराशा हुई

शीतकालीन बजट सैशन में वीरभूमि के पूर्व सैनिकों  व पैरामिलिट्री सुरक्षाबल सेवानिवृत्तों को बजट से मिली निराशा।

शिमला,हिमाचल 

हिमाचल प्रदेश में लगभग प्रत्येक तीसरे घर से एक सदस्य सेना या पैरामिलिट्री फोर्स में देश की सेवा करने के लिए सीमाओं पर तैनात है व देश-प्रदेश में हर संकट आने पर वह सदैव आगे रह कर अपने देश की रक्षा करने से पीछे नहीं हटते।


सेना के जवान बाहरी सुरक्षा व पैरामिलिट्री सर्विसेज के जवान आंतरिक सुरक्षा में अपना योगदान देने में सदैव तत्पर रहते हैं।,चाहे युद्ध हो या आपदा की स्थिति जैसा कि हाल ही में हमारा  प्रदेश भयंकर आपदा संकट से गुज़रा है व इस बार भी सभी सुरक्षाबल अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में कहीं पर भी पीछे नहीं हटे और फंसे हुए लोगों, पर्यटकों की हर संभव मदद कर उन्हें सुरक्षित बाहर निकाला।


परन्तु जब स्थिति सामान्य होती है तो सभी सरकारें उन्हें भूला देती हैं, चाहे वह केन्द्र सरकार हो या राज्य सरकार, जिससे उन्हें महसूस होता है कि उन्हें सिर्फ़ संकट में ही स्मरण किया जाता है, किसी भी महत्वपूर्ण अवसर पर भुला दिया जाता है। 


दोनों सुरक्षा बलों की समवन्य कमेटी की एक संयुक्त मीटिंग में पूर्व सैनिक व सेवानिवृत्त पैरामिलिट्री सुरक्षा बलों के वारिष्ठ पदाधिकारियों सेवानिवृत्त मेजर जनरल डी.वी.एस. राणा (एवीएसएम एसएम वीएसएम)व पूर्व डी.आई.जी. वी.के. शर्मा ने अपने संयुक्त ब्यान में सरकार के संज्ञान में लाते हुए कहा कि, "कम से कम हमारी सरकार अपने बजट सैशन में वीरभूमि हिमाचल प्रदेश के सुरक्षाबलों के शहीद सैनिकों को भी यदि स्मरण करने की परम्परा निभा लेती तो मैदान से लेकर सियाचिन ग्लेशियर तक तैनात सैनिकों और उनके परिवारों को लगता कि हमें व हमारे पीछे हमारे परिजनों की सुध लेने वाला कोई तो है, इससे उन के मनोबल में बहुत फ़र्क पड़ता है!


इसके अतिरिक्त बुनियादी सुविधाओं पर ध्यान देते हुए पूर्व सैनिकों की तर्ज़ पर पैरामिलिट्री सेवानिवृत्तों के  पैरामिलिट्री बोर्ड का गठन, स्वास्थ्य केंद्र, कैंटीन सुविधाएं उपलब्ध कराई जाने की आवश्यकता है।

स्मरण रहे कि हिमाचल प्रदेश में सेवारत् , सेवानिवृत्त पूर्व सैनिकों, सेवारत् व सेवानिवृत्त पैरामिलिट्री सुरक्षाबलों के जवानों की संख्या लगभग पांच लाख के करीब है यदि इनके परिवारों को भी जोड़ें तो इनकी संख्या लगभग 15-18 लाख तक पहुंच जाती है और वीरभूमि हिमाचल प्रदेश के चारों लोकसभा संसदीय क्षेत्रों में इनका वोट बैंक कांगड़ा, हमीरपुर, मंडी,सोलन में बहुत मायने रखता है जिसे कोई भी सरकार नज़र अन्दाज़ नहीं कर सकती। 

अतः पूर्व की तरह इस बजट में भी उनके व उनके परिवारों के लिए केन्द्र व राज्य सरकार ने उनके लिए इस बजट में भी शायद शून्य  प्रावधान रखा है। जिससे उन्हें निराशा ही हाथ लगी है। परन्तु वह फ़िर भी सरकार द्वारा आपदाओं से निपटने में किए गए कार्यों की सराहना करते हैं व प्रदेश की आर्थिक स्थिति कमज़ोर होने के बावज़ूद भी अपने खुद के संसाधनों से प्रदेश की जनता को राहत पहुंचाने में अहम कदम उठा रही है, परन्तु हम व हमारे परिवार भी इसी प्रदेश के वासी हैं हमें भी नज़र अन्दाज़ नहीं किया जाए। उन्होंने कहा कि उन्हें वर्तमान सरकार से बहुत आशाएं हैं व वह इस वर्ग का भी पूरा ध्यान रखेगी।


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