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राकेश और आशीष शर्मा एफआईआर रद्द करवाने हाईकोर्ट पहुंचे

राकेश और आशीष शर्मा ने एफआईआर को रद्द करने के लिए हाईकोर्ट पहुंचे; अदालत ने सरकार से नोटिस भेजा

शिमला , ब्यूरो रिपोर्ट

सोमवार को पूर्व विधायक चैतन्य शर्मा के पिता राकेश शर्मा और निर्दलीय विधायक आशीष शर्मा ने हाईकोर्ट में अपील की कि उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया जाए। याचिकाकर्ताओं के वरिष्ठ अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि पुलिस ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के सेक्शन 7 व 8 के तहत मामला दर्ज किया है, यह गलत है। 


उनका दावा था कि निर्दलीय विधायक किसी भी राजनीतिक दल से नहीं जुड़े होते, इसलिए उन्हें चुनाव में अपना वोट देना स्वतंत्र है। राजनीतिक कारणों से सरकार ने इन पर एफआईआर दर्ज की है। उनका अनुरोध है कि एफआईआर रद्द कर दी जाए। सरकार के अधिवक्ता अनूप रतन अदालत में पेश हुए। 


अदालत ने सरकार को नोटिस जारी कर 18 अप्रैल से पहले उत्तर देने को कहा। याचिकाकर्ताओं को 26 अप्रैल से पहले अदालत में प्रतिक्रिया दायर करने का भी आदेश दिया गया है। मामला न्यायाधीश बीसी नेगी ने सुनाया था। 26 अप्रैल को अंतिम सुनवाई होगी。राज्यसभा चुनाव में प्रदेश सरकार को गिराने का षड्यंत्र रचने का आरोप राकेश शर्मा और निर्दलीय विधायक आशीष शर्मा पर लगाया गया है। 


हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने निर्दलीय विधायक आशीष शर्मा और कांग्रेस के पूर्व विधायक चैतन्य शर्मा के पिता राकेश शर्मा की अग्रिम जमानत 26 अप्रैल तक बढ़ा दी है। दोनों पर राज्यसभा चुनाव में षड्यंत्र रचने और धन की धोखाधड़ी के आरोप हैं। अदालत को बताया गया कि याचिकाकर्ताओं को राजनीतिक दबाव से झूठे केस में फंसाया जा रहा है। सरकारी अधिवक्ता अनूप रतन ने अदालत को बताया कि एसआईटी आरोपियों से पूछताछ कर रही है। ऐसी स्थिति में आरोपियों को जमानत नहीं दी जाएगी।


 दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने दोनों की अग्रिम जमानत 26 अप्रैल तक बढ़ा दी है। अदालत ने दोनों को कहा है कि वे जांच एजेंसी को पूछताछ में मदद करें। मामला न्यायाधीश रंजन शर्मा ने सुनाया। 26 अप्रैल को अगली सुनवाई होगी। कांग्रेस के दो विधायकों ने बालूगंज थाना में शिकायत दी, जिसके आधार पर पुलिस ने मामला दर्ज किया है। इन दोनों पर पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 171ए, 171सी, 120बी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के भाग 7 और 8 के तहत मामला दर्ज किया है। चैतन्य शर्मा के पिता राकेश शर्मा उत्तराखंड का पूर्व मुख्य सचिव था।

 

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