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घरकिन की फसल की अब होगी हिमाचल में पैदावार

                                                             किसानों की आर्थिकी भी होगी मजबूत

काँगड़ा,ब्यूरो रिपोर्ट 

पेट दर्द, पीलिया, बवासीर और गुर्दे की पथरी जैसे रोगों से लड़ने के लिए एक औषधीय रूप में जाने वाली घरकिन की फसल अब हिमाचल में पैदा की जा सकेगी। यह फसल अफ्रीका, ब्राजील, अमेरिका और दक्षिण भारत में होती है। इससे रोगों से लड़ने में मदद मिलने के साथ किसानों की आर्थिकी भी मजबूत होगी। 

कृषि विवि के वैज्ञानिकों ने इस फसल पर एक सफल प्रशिक्षण कर इसे तैयार किया है, जो जल्द ही किसानों के खेतों तक पहुंचेगी। लोग घरकिन को सब्जी के अलावा सलाद के रूप में भी खा सकते हैं। घरकिन के फलों को उबाल और तलकर या फिर सलाद के रूप में ताजा खाया जाता है। इसका अचार भी डाला जा सकता है। इसे एक सब्जी के रूप में भी खाया जा सकता है। पेट, दर्द, गुर्दे की पथरी और बवासीर बीमारियों में मदद करने वाली घरकीन विटामिन ए फोलेट, कैल्शियम और आयरन समेत अन्य पोषक तत्वों का सेवन बढ़ाने के लिए भी बेहद मददगार हो सकती है। यह गर्म मौसम की फसल है। 

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उच्च उपज क्षमता वाली छोटी अवधि की फसल होने के कारण, इसकी खेती और खपत मुख्य रूप से अफ्रीका, ब्राजील और संयुक्त राज्य अमेरिका और दक्षिण भारत में की जाती है। कृषि विवि के कुलपति डाॅ. डीके वत्स ने कहा कि यह राज्य के लिए एक नई फसल है और इससे किसानों को अपनी कृषि आय बढ़ाने में मदद मिल सकती है। उन्होंने इस सब्जी की फसल को सफलतापूर्वक  उगाने और हाई-टेक उत्पादन में पेश करने के लिए सब्जी फसल और फूलों की खेती विभाग के डॉ. प्रवीन शर्मा की सराहना की। घरकिन एक ककड़ी या खीरा की प्रजाति है, जो साइज में ककड़ी से छोटी होती है। विदेशी कंपनियों से इसका बीज लेकर कृषि विवि पालमपुर ने हिमाचल में इसे पहली बार इसे सफल रूप से तैयार किया है। जो आने वाले दिनों में किसानों की आर्थिकी मजबूत करेगी। घरकिन बागवानी फसलों की खीरा परिवार किस्म से संबंधित हैं।





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