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जिला शिमला में वन विभाग ने रद्द किए एंबुलेंस रोड के प्रस्ताव

                                        वन विभाग का तर्क, शहर में लागू नहीं होता यह अधिनियम

शिमला,ब्यूरो रिपोर्ट 

राजधानी में वन अधिकार अधिनियम के तहत शहरवासियों को छोटी एंबुलेंस सड़कों की सुविधा देने की नगर निगम की योजना को झटका लगा है। वन विभाग ने इस अधिनियम के तहत सड़क निर्माण की मंजूरी देने से इनकार कर दिया है। अब वन संरक्षण अधिनियम यानि एफसीए के तहत इनकी मंजूरी लेनी होगी।

नगर निगम सदन ने अब इस प्रस्ताव को सरकार को भेजने का फैसला लिया है। सरकार से इस अधिनियम में संशोधन की मांग की जाएगी। नगर निगम ने शहर के कई वार्डाें में वन अधिकार अधिनियम के तहत छोटी सड़कें बनाने की योजना बनाई थी। इस अधिनियम के तहत सड़क निर्माण की औपचारिकताएं कम हैं और डीएफओ स्तर के अधिकारी ही निर्माण की मंजूरी दे सकते हैं। निगम ने रुल्दुभट्ठा वार्ड की दो छोटी सड़कों के निर्माण के प्रस्ताव विभाग को भेजे थे। पिछले छह महीने से पार्षद सरोज ठाकुर लगातार सदन में भी इस मामले को उठा रही थी। लेकिन अब वन विभाग ने इनके निर्माण को मंजूरी देने से साफ इनकार कर दिया है। डीएफओ पवन चौहान ने शुक्रवार को सदन में स्पष्ट किया कि वन अधिकार अधिनियम में साल 2006 में संशोधन हो चुका है। 



यह अधिनियम शिमला शहर में लागू नहीं हो सकता। इसके तहत सिर्फ जनजातीय लोगों को ही मंजूरी मिलती है। जहां के लिए यह सड़कें प्रस्तावित हैं, उनके वन पर अधिकार नहीं हैं। यह लोग बाहर से आकर यहां बसे हैं। ऐसे में शिमला शहर में एफसीए के तहत ही सड़क निर्माण की मंजूरी लेना अनिवार्य है।नगर निगम सदन ने इस प्रस्ताव को सरकार को भेजने का फैसला लिया है। महापौर सुरेंद्र चौहान ने कहा कि सरकार से इस वन अधिकार अधिनियम में संशोधन की मांग की जाएगी ताकि शहर की जनता को सुविधाएं दी जा सके। कहा कि एफसीए के तहत वन मंजूरी लेने की प्रक्रिया काफी लंबी है और इसमें कई साल बीत जाते हैं। नगर निगम आयुक्त भूपेंद्र अत्री ने कहा कि निगम एफसीए के तहत इनके निर्माण की मंजूरी लेगा।



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