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आखिर क्यों? बाबा बालक नाथ मंदिर दियोटसिद्ध में बंद रही कैंटीन

                              सैंपल फैल होने के बाद बाबा बालक नाथ मंदिर ट्रस्ट की कैंटीन बंद

हमीरपुर,ब्यूरो रिपोर्ट 

बाबा बालक नाथ मंदिर दियोटसिद्ध में बेचे जा रहे प्रसाद के नमूने खाने योग्य नहीं पाए जाने के एक दिन बाद मंदिर प्रबंधन ने बुधवार को कैंटीन बंद कर दी और कहा कि इसकी सेवाएं आउटसोर्स की जाएंगी।  

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार बाबा बालक नाथ मंदिर ट्रस्ट दियोटसिद्ध के अध्यक्ष एवं बड़सर के उपमंडल मजिस्ट्रेट राजेंद्र गौतम ने कहा, "(मंदिर) ट्रस्ट की एक कैंटीन की सेवाएं पहले ही आउटसोर्स की जा चुकी हैं। दूसरी कैंटीन की सेवाएं आउटसोर्स करने की प्रक्रिया चल रही है।"  उन्होंने कहा कि इस कैंटीन को बंद कर दिया गया है, साथ ही उन्होंने कहा कि सेवाओं को आउटसोर्स करने के लिए निविदा प्रक्रिया में तेजी लाई जाएगी। 


खाद्य सुरक्षा विभाग ने दो महीने पहले सोलन जिले के कंडाघाट स्थित कंपोजिट टेस्टिंग लैबोरेटरी में जांच के लिए बाबा बालक नाथ मंदिर ट्रस्ट की दुकान पर प्रसाद के रूप में बेचे जा रहे रोटों के नमूने भेजे थे। नमूने खाने योग्य नहीं पाए गए। एक निजी दुकान से लिए गए रोटों के नमूने भी जांच में विफल रहे। अधिकारियों के अनुसार, गेहूं, चीनी और घी से बने रोट थोक में बनाए जाते हैं और कई दिनों में बेचे जाते हैं। इसलिए, वे बासी हो जाते हैं। प्रसाद बेचने वाली मुख्य कैंटीन मंदिर ट्रस्ट द्वारा शुरू से ही चलाई जा रही थी और अच्छा कारोबार कर रही थी। 


हर साल करीब 50-75 लाख लोग बाबा बालक नाथ मंदिर में आते हैं और रोट, मिठाई और अन्य चीजें चढ़ाते हैं। हमीरपुर के डिप्टी कमिश्नर अमरजीत सिंह ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग रोट और प्रसाद बेचने वालों के लिए खाद्य सुरक्षा उपायों के बारे में जागरुकता पैदा करने के लिए शिविर लगाएगा। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने मंदिर से प्रसाद के नमूनों के परीक्षण परिणामों का विवरण मांगा है और हमीरपुर जिला अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि भक्तों को गुणवत्तापूर्ण रोट उपलब्ध कराए जाएं।



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