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किसानों के लिए एक किफायती और उपयोगी फ्रॉस्ट प्रोटेक्शन गाइड चार्ट किया विकसित

                                               फसलों को कोहरे से बचाने का सस्ता समाधान तैयार

हमीरपुर,ब्यूरो रिपोर्ट 

उद्यानिकी एवं वानिकी महाविद्यालय नेरी के फल विज्ञान विभाग के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. शशि शर्मा ने किसानों के लिए एक किफायती और उपयोगी फ्रॉस्ट प्रोटेक्शन गाइड चार्ट (पाले से बचाव की मार्गदर्शिका) विकसित किया है। 

यह चार्ट किसानों को पाले या कोहरे का सटीक पूर्वानुमान देकर फसलों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद करेगा। बता दें कि उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में पाले के कारण हर वर्ष 1300 करोड़ रुपये का नुकसान होता है।डॉ. शशि शर्मा ने बताया कि यह गाइड चार्ट सरल और सस्ता उपकरण है, जिसे विशेष रूप से सूर्यास्त के समय तापमान के आधार पर तैयार किया गया है। उदाहरण के तौर पर, यदि सूर्यास्त के समय तापमान 10 डिग्री सेल्सियस हो तो चार्ट में यह तापमान ठंड के प्रति संवेदनशील फसलों के क्षेत्र (नीला क्षेत्र) में आता है। इसका मतलब है कि पपीता और केला जैसी संवेदनशील फसलें ठंड से तनाव में आ सकती हैं।


उन्होंने बताया कि ठंड का प्रभाव सूर्यास्त के बाद आठ फीसदी घंटे (लगभग रात 2 बजे) से शुरू होता है और पांच फीसदी घंटे (सुबह 7:30 बजे तक) रहता है। इस अवधि के आधार पर किसान फसलों की सुरक्षा के लिए उपयुक्त उपाय चुन सकते हैं। डॉ. शर्मा ने बताया कि पाले से बचाव के लिए पानी का छिड़काव एक प्रभावी उपाय है। हालांकि, रातभर पानी छिड़काव करना महंगा हो सकता है और जलभराव का जोखिम भी रहता है। इस स्थिति में एस-चार्ट स्प्रे पानी के सटीक और नियंत्रित अनुप्रयोग में मददगार साबित होता है।उन्होंने कहा कि यह उपकरण मौसम पूर्वानुमान को स्थानीय जरूरतों के अनुसार अनुकूलित करता है। इससे किसान यह तय कर सकते हैं कि कब और किस हद तक ठंड से बचाव आवश्यक है।


प्रभावी बाग प्रबंधन के लिए सर्दियों में उत्पादक इसकी मदद ले सकते हैं। एस-फ्रॉस्ट प्रोटेक्शन गाइड चार्ट, जो कि पूर्व निर्णय के लिए एक विश्वसनीय निर्णय समर्थन उपकरण है।पाले के कारण हर वर्ष उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में 1300 करोड़ रुपये तक की फसलों का नुकसान होता है। एस-फ्रॉस्ट प्रोटेक्शन गाइड चार्ट किसानों को इस नुकसान से बचाने में अहम भूमिका निभा सकता है। डॉ. शर्मा ने किसानों से आग्रह किया कि वे इस उपकरण का उपयोग करें और सर्दियों में फसल प्रबंधन को और प्रभावी बनाएं।महाविद्यालय के डीन डॉ. धर्मपाल शर्मा ने कहा कि किसी भी शोध को अंजाम तक पहुंचाने में वैज्ञानिकों की मेहनत और संसाधनों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। किसानों को इन तकनीकों का भरपूर लाभ उठाना चाहिए और तकनीकी आधार पर फसलों का संरक्षण कर अधिक उत्पादन प्राप्त करना चाहिए। इससे किसान आर्थिक रूप से सशक्त और आत्मनिर्भर बन सकते हैं।




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