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आखिर क्यों? किसानो को नहीं मिल रहा न्योली-थरमाण सिंचाई योजना का लाभ

                                    कागजों में ‘हरियाली’, खेतों में सूखा, नकदी फसलें मुरझाईं

कुल्लू,ब्यूरो रिपोर्ट 

जिला मुख्यालय खराहल की तीन पंचायतों के हजारों किसानों के खेतों तक पानी पहुंचाने के सरकार के दावे खोखले साबित हो रहे हैं। 

न्योली-थरमाण उठाऊ सिंचाई योजना का कार्य आधा-अधूरा है जबकि अक्तूबर में दशहरा के दौरान मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने परियोजना का लोकार्पण किया है, लेकिन अभी तक जलशक्ति विभाग खेतों तक पानी नहीं पहुंचा पाया है। सिंचाई योजना का निर्माण 2.94 करोड़ से किया गया है।सूखे जैसे हालत होने से किसान-बागवान परेशान हैं और सिंचाई सुविधा के अभाव से किसान न तो बिजाई कर पा रहे हैं और न ही लहसुन आदि की सिंचाई कर पा रहे हैं। 


आलम यह है कि न्योली-थरमाण सिंचाई योजना का काम पूरा नहीं हुआ और कई क्षेत्रों में खेतों तक पानी ही नहीं पहुंच पा रहा है। किसानों का कहना है कि अधिकतर इलाकों में आउटलेट और पाइपें ही नहीं बिछाई गई हैं। इसकी वजह से खेतों तक सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध नहीं हो रहा। सूखे के कारण नकदी फसलों को लाखों का नुकसान हो रहा है।2.94 करोड़ से निर्मित परियोजना का लाभ किसानों नहीं मिल रहा है। कुछ ही क्षेत्रों में पानी किसानों को उपलब्ध हो रहा है। कागजों में परियोजना 98.4 हेक्टेयर भूमि को सिंचित कर रही है लेकिन धरातल पर 30 फीसदी ही जमीन सिंचित हो रही है।


किसानों अमित, चमन, राज कुमार, बुद्धि प्रकाश, रितेश ठाकुर सहित कर्म चंद ने कहा कि थरमाण और घराकड़ में खेतों में अभी तक आउटलेट और पाइपें ही नहीं बिछाई गई हैं। ऐसे में सिंचाई के लिए पानी कैसे उपलब्ध होगा। थरमाण क्षेत्र में करीब 300 बीघा भूमि पर पानी सिंचाई के लिए नहीं पहुंच रहा है।कृषि विकास संघ के प्रधान ज्ञान ठाकुर का कहना है कि कि इस संबंध में विभाग को लिखित में पत्र भी प्रेषित किया था। इसके बावजूद आधा-अधूरा कार्य पूरा नहीं किया है।खराहल घाटी के कुछ लोग इस योजना को आगे तक बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। बजट का प्रावधान होने पर इसका काम किया जाएगा। 


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