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सफलता के लिए ज्ञान ही नहीं, कौशल भी जरूरी:राजेश धर्माणी

                तकनीकी शिक्षा मंत्री ने आरनी विश्वविद्यालय के चौथे दीक्षांत समारोह में की शिरकत

इंदौरा,रिपोर्ट शम्मी धीमान 

नगर एवं ग्राम नियोजन (टीसीपी), आवास, तकनीकी शिक्षा, वोकेशनल एवं औद्योगिक प्रशिक्षण मंत्री राजेश धर्माणी   आज आरनी विश्वविद्यालय के चौथे दीक्षांत समारोह में विशेष अतिथि के रूप में शामिल हुए।

इस अवसर पर स्थानीय विधायक मलेंद्र राजन भी उपस्थित रहे। इस अवसर पर राजेश धर्माणी ने दीक्षांत समारोह में 54 विद्यार्थियों को डिग्री प्रदान की जिनमें 9 पीएचडी,29 स्नातकोत्तर,11 स्नातक और 5  डिप्लोमा धारक शामिल है । उन्होंने एमएससी बॉटनी की तमन्ना को गोल्ड मेडल भी प्रदान किया।अपने संबोधन में उन्होंने स्नातक छात्रों को उनकी सफलता पर बधाई दी और भविष्य में आगे बढ़ने के लिए महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश दिए। धर्माणी ने कहा कि यह दिन छात्रों के लिए विशेष महत्व रखता है, क्योंकि यह उनकी शिक्षा यात्रा के एक महत्वपूर्ण पड़ाव को चिह्नित करता है। उन्होंने माता-पिता और शिक्षकों के योगदान की सराहना करते हुए कहा कि अब छात्र उस संरक्षित वातावरण से बाहर आ रहे हैं, जो उनके लिए बनाया गया था,और वे वास्तविक जीवन की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार हैं।उन्होंने कहा, "आपकी वास्तविक जीवन यात्रा अब शुरू हो रही है।



 जो ज्ञान आपने कक्षा में प्राप्त किया है, उसे अब व्यावहारिक रूप से लागू करने का समय आ गया है। जीवन का विश्वविद्यालय आसान नहीं होता, यहाँ आपको कई कठिनाइयों और अवसरों का सामना करना पड़ेगा।"छात्रों को आत्मविश्वास बनाए रखने की सलाह देते हुए उन्होंने कहा कि कठिनाइयों का सामना करते समय आत्मबल बनाए रखना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि केवल डिग्री सफलता की गारंटी नहीं है, बल्कि सफलता प्राप्त करने के लिए निरंतर सीखना, अपने ज्ञान को अद्यतन करना और नए कौशल विकसित करना जरूरी है। धर्माणी ने देश के सफल व्यक्तियों का उदाहरण देते हुए कहा कि जो लोग आज बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ और बड़े कॉर्पोरेट चला रहे हैं, वे भी कभी विद्यार्थी थे। उन्होंने अपने सपनों को साकार करने के लिए कठिन परिश्रम किया और समाज में मूल्य जोड़ा। उन्होंने छात्रों को समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझने की भी अपील की। "समाज ने आपकी शिक्षा में निवेश किया है, इसलिए अब आपकी जिम्मेदारी है कि आप एक अच्छे इंसान और जिम्मेदार नागरिक बनकर समाज को कुछ लौटाएं।" उन्होंने कहा कि जीवन का अंतिम लक्ष्य केवल व्यक्तिगत उन्नति नहीं, बल्कि भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक समृद्ध विरासत छोड़ना होना चाहिए।

उन्होंने यह भी कहा कि हम जो सुख-सुविधाएँ और संसाधन आज भोग रहे हैं, वे हमारे पूर्वजों की देन हैं। इसलिए हमारा कर्तव्य है कि हम आने वाली पीढ़ियों के लिए भी ऐसा ही सकारात्मक योगदान दें।इसके साथ ही, श्री धर्माणी ने विद्यार्थियों को स्वामी विवेकानंद जी के प्रेरणादायक विचार "उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए" को अपने जीवन में अपनाने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि सफलता उन्हीं को मिलती है जो निरंतर प्रयास करते रहते हैं और कठिनाइयों से घबराए बिना अपने सपनों की ओर बढ़ते रहते हैं। उन्होंने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे 'विकसित भारत 2047' और 'आत्मनिर्भर हिमाचल 2027' की परिकल्पना को साकार करने की दिशा में अपना बहुमूल्य योगदान दें।इस मौके पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य प्रियंक कानूनगो ने भी डिग्री धारकों को बधाई  दी। उन्होंने डिग्री धारकों से जीवन के संघर्ष में तप कर कुंदन बनने की बात कही। उन्होंने कहा शिक्षा जीवन भर चलने वाली प्रक्रिया है। उन्होंने विद्यार्थियों से राष्ट्र निर्माण के यज्ञ में आहुति देने के संकल्प को साथ लेकर इस विश्वविद्यालय से जाने का आह्वान किया।इस अवसर पर चांसलर डॉ विवेक सिंह ने मंत्री का स्वागत कर, उन्हें सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि दीक्षांत समारोह विद्यार्थियों, अभिभावकों और शिक्षकों के जीवन में एक बेहद अहम पल होता है जब उनकी मेहनत, दुआओं और समपर्ण का उन्हें ईनाम मिलता है। उन्होंने कहा कि आज सभी डिग्रीधारक राष्ट्र की सेवा के लिए तैयार हैं। 




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