ग्रामीण बोले- आम जनजीवन को बुरी तरह से हो रहा प्रभावित
ऊना,ब्यूरो रिपोर्ट
क्षेत्र में अरसे से बारिश न होने से स्थिति दिन प्रतिदिन विकराल होती जा रही है। पानी की कमी की गंभीर समस्या हो रही है। गांव में कुएं, हैंडपंप, तालाबों, नल-जल योजनाओं एवं प्राकृतिक जल स्रोतों के जलस्तर में कमी होने पर आम जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है।
स्थानीय निवासी जगमोहन सिंह ने कहा कि गांवों में नल-जल योजनाएं हांफने के कारण लोगों को पीने के पानी के लिए मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। रमेश चौधरी का कहना है कि इस प्रकार की समस्या से स्कूलों में भी आपूर्ति बाधित हो सकती है। इससे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होगी। लठियाणी पंचायत प्रधान जोगिंद्र शर्मा पौणु ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में चल रहे भवन निर्माण कार्यों, कंक्रीट, प्लास्टर और अन्य निर्माण कार्यों में पानी की बहुत आवश्यकता होती है। निर्माण कार्य न होने के कारण मजदूर बहुत परेशान हो रहे हैं। भवन निर्माण का कार्य करने वाले कारीगर (मिस्त्री) अजय कुमार ने बताया कि पानी के संकट की वजह से मजदूरों को दिहाड़ी न मिलने से आर्थिक संकट पैदा हो गया है। परिवार का पालन पोषण करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। मजदूरी का कार्य करने वाले तरसेम सिंह, रमेश चंद, महेंद्र सिंह, देशराज, कमल देव, विनोद कुमार, सुरजीत सिंह, राकेश कुमार ने बताया कि निर्माण का कार्य करवा रहे ठेकेदारों और अन्य लोग जो निर्माण कार्य करवा रहे थे उन्होंने अस्थायी रूप से बंद कर दिए हैं।
उपप्रधान निर्मल सिंह ठाकुर ने कहा कि जलसंकट से पशुओं और प्राकृतिक खेती करने में भी समस्या हो रही है। प्राकृतिक खेती करने के लिए सिंचाई की भी आवश्यकता होती है। अब खरीफ की फसलें संकट में हैं। नलों में भी पानी प्रतिदिन घट रहा है। यदि शीघ्र बारिश नहीं हुई तो आगामी फसलों की बिजाई करने में भी समस्या आ सकती है। डोह से मनीष कुमार ने कहा कि जल संरक्षण की आवश्यकता और भी अधिक महसूस की जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि वर्षा जल संग्रहण (रेन वॉटर हार्वेस्टिंग), परंपरागत जल स्रोतों का संरक्षण और सामूहिक प्रयास ही इस संकट का स्थायी समाधान हो सकता हैं। ननावीं से पंकज कुमार का कहना है कि अगर शीघ्र बारिश नहीं हुई और प्रशासन ने प्रभावी प्रयास नहीं किए तो आने वाले दिनों में स्थिति और भी गंभीर होगी। राजली से हंसराज ने कहा सभी नागरिकों का कर्तव्य है कि प्राकृतिक जल स्रोतों का विशेष ध्यान रखें। क्योंकि प्राकृतिक जल स्रोत धीरे-धीरे लुप्त होते जा रहे हैं। उनकी समय-समय पर देखभाल करना बहुत ही जरूरी है।
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