डैम के गेट बंद कर बचाई जान
बिलासपुर,ब्यूरो रिपोर्ट
उपमंडल सदर के खंगड़ गांव में बुधवार शाम दो बच्चे सतलुज नदी के बीच फंस गए, लेकिन एनटीपीसी कोलडैम प्रबंधन की सूझबूझ और ग्रामीणों के साहस से बड़ा हादसा होने से टल गया।
सूचना मिलते ही एनटीपीसी ने तुरंत पानी को बहाव कम करने के लिए डैम का गेट बंद कर दिया। इसके बाद दोनों बच्चों को सुरक्षित निकाल लिया गया। हालांकि, गेट बंद करने से न केवल बिजली उत्पादन कुछ देर के लिए ठप हो गया, बल्कि परियोजना प्रबंधन को नुकसान भी उठाना पड़ा।घटना बुधवार शाम की है। खंगड़ गांव के तीन बच्चे कृष चंदेल, अनुज और एक बच्ची सतलुज नदी किनारे रेत के मैदान में खेल रहे थे। खेल में मशगूल बच्चों ने एनटीपीसी की ओर से जल विद्युत संयंत्र को चलाने से पहले बजने वाले चेतावनी अलार्म पर ध्यान नहीं दिया। जैसे ही डैम से पानी छोड़ा, सतलुज नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ने लगा।
खतरे को भांपते हुए कृष और अनुज जान बचाने के लिए पास के एक टापू पर चढ़ गए, जबकि बच्ची समय रहते किनारे पहुंच गई। देखते ही देखते टापू के चारों ओर पानी भर गया। बच्चों की आवाज सुनकर ग्रामीण मौके पर पहुंचे। निचली भटेड़ पंचायत की वार्ड नंबर तीन की सदस्य अंजना कुमारी ने एनटीपीसी के अधिकारी को जानकारी दी। एनटीपीसी प्रबंधन ने तुरंत सतलुज नदी में पानी के बहाव को नियंत्रित करने के लिए गेट बंद कर दिए। जैसे ही जल स्तर थोड़ा कम हुआ।
गांव के ही राजेंद्र कुमार ने रस्सियों के सहारे बच्चों तक पहुंचकर उन्हें सुरक्षित बाहर निकाला।उधर, वीरवार को बच्चों के अभिभावक, जनप्रतिनिधि और अन्य ग्रामीण एनटीपीसी कोलडैम के कार्यालय पहुंचे और प्रबंधन का आभार व्यक्त किया। कहा कि यदि समय पर पानी का बहाव नियंत्रित नहीं होता तो बच्चों को बचा पाना नामुमकिन था। इस अवसर पर नदी में छलांग लगाकर बच्चों को बचाने वाले राजेंद्र कुमार को भी सम्मानित किया गया।
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