याचिकाकर्ता की ओर से पुनर्विचार याचिका दायर की गई
शिमला,ब्यूरो रिपोर्ट
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा है कि अतिक्रमणकारी भूमि के असली मालिक के खिलाफ निषेधाज्ञा दायर नहीं कर सकते। उच्च न्यायालय के न्यायाधीश राकेश कैंथला की पीठ ने इस आधार पर पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी।
याचिकाकर्ता की ओर से पुनर्विचार याचिका दायर की गई। हाईकोर्ट ने पाया कि पुनर्विचार याचिका में याचिकाकर्ताओं की ओर से ली गई दलील सही नहीं है कि प्रथम अपीलीय न्यायालय की ओर से कोई निष्कर्ष दर्ज नहीं किया गया। प्रथम अपीलीय न्यायालय की ओर से निर्णय के अवलोकन पर पाया गया कि याचिकाकर्ता को मामला पेश करने का उचित अवसर दिया गया और सभी निष्कर्ष गुण-दोष के आधार पर दर्ज किए गए। याचिकाकर्ता के अनुसार न्यायालय ने दलीलों को गलत पढ़ा था और रिकॉर्ड पर त्रुटि स्पष्ट थी।
याचिकाकर्ता ने अपनी स्वामित्व वाली भूमि की घोषणा की डिक्री प्राप्त करने के लिए ट्रायल कोर्ट में मुकदमा दायर किया था। तर्क था कि अधिकारियों ने गलत तरीके से भूमि से बेदखल कर दिया था और प्रतिवादी के खिलाफ मांग की थी कि उनको भूमि से बेदखल करने से स्थायी निदेशात्मक निषेधाज्ञा की जाए। पुनर्विचार याचिका में बताया गया है कि उसने 1973-74 में यह भूमि खरीदी थी। इस पर उसने एक घर बनाया था। कार्रवाई के दौरान व्यक्ति ने बंदोबस्त अधिकारी शिमला के समक्ष इस आधार पर आवेदन दायर किया कि उसके घर तक जाने वाला मार्ग याचिकाकर्ता की ओर से बंद कर दिया गया।
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