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छत और छज्जों पर उग आई है घास, दरवाजे-खिड़कियां भी गायब

                                          अस्पताल परिसर में बने ये आवास अब सिर्फ दीवारों तक सीमित

बिलासपुर,ब्यूरो रिपोर्ट 

 बरठीं का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नेताओं के खोखले विकास के दावों की असली तस्वीर पेश कर रहा है। यहां चिकित्सकों के लिए बनाए गए सरकारी आवास बीते 15 वर्ष से खंडहर बने हैं। यह अस्पताल क्षेत्र की 25 पंचायतों को स्वास्थ्य सेवाएं देता है, लेकिन डॉक्टर खुद किराये के मकानों में रहने को मजबूर हैं।

अस्पताल परिसर में बने ये आवास अब सिर्फ दीवारों तक सीमित हैं। लेंटर और छज्जों पर घास उग आई है, दरवाजे-खिड़कियां गायब हैं, और आवारा पशुओं का बसेरा बन चुके ये ढांचे कभी भी गिरकर बड़े हादसे का कारण बन सकते हैं। लोगों ने बताया कि वे पिछले चार विधानसभा चुनावों से लगातार इस समस्या को भाजपा और कांग्रेस के नेताओं के समक्ष उठाते आ रहे हैं, लेकिन हर बार आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला। रोगी कल्याण समिति की बैठकों में भी इस विषय पर बार-बार प्रस्ताव पारित किए गए। भवनों की हालत सुधारने या उन्हें गिराकर नए आवास बनाने की मांग उठती रही, मगर कोई सुनवाई नहीं हुई।

सीएचसी प्रभारी डॉ. अरविंद टंडन ने बताया कि भवन को गिराने के लिए पहले भी स्वीकृति ली गई थी, लेकिन अनुमानित लागत अधिक होने के कारण कोई भी ठेकेदार काम शुरू करने नहीं आया। अब दोबारा स्वीकृति मांगी गई है, और मिलते ही गिराने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। खंड चिकित्सा अधिकारी झंडूता डॉ. परमिंदर सिंह ने कहा कि मामला उनके ध्यान में है और विभाग स्तर पर जल्द समाधान की कोशिश की जा रही है। लोगों का कहना है कि चुनावों के समय विकास के बड़े-बड़े वादे करने वाले नेता सत्ता में आने के बाद सब कुछ भूल जाते हैं। यह मामला भी उसी राजनीतिक उपेक्षा का शिकार है। अब यह देखना होगा कि क्या सरकार इस बार बरठीं सीएचसी की इस जर्जर स्थिति पर ध्यान देती है या फिर चिकित्सकों को और कई साल तक असुविधाओं से जूझना पड़ेगा।


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