किन मामलो से निपटने के लिए दी जाएगी यह ट्रेनिंग
बिलासपुर,ब्यूरो रिपोर्ट
अब हिमाचल प्रदेश में हार्ट अटैक, सर्पदंश, ब्रेन स्ट्रोक, जलने और जहर जैसे मामलों में मौत के आंकड़े कम होंगे। एम्स बिलासपुर ने प्रदेश के पांच सरकारी मेडिकल कॉलेजों के डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ को मास्टर ट्रेनिंग देकर तैयार कर दिया है।
अब यह मास्टर ट्रेनर अपने जिले के एंबुलेंस कर्मचारियों को ट्रेनिंग देंगे कि कैसे हार्ट अटैक, सर्पदंश, जलने और जहर जैसे मामलों में मरीज की जान बचाई जाती है। इसके लिए एंबुलेंस में ही जरूरी उपचार देने के लिए इन्हें ट्रेंड किया जाएगा।एम्स बिलासपुर ने तीन दिन तक मेडिकल कॉलेजों की फैकल्टी को यह विशेष ट्रेनिंग दी है। इसके तहत अब एंबुलेंस कर्मियों को मौके पर ही प्राथमिक जीवनरक्षक उपचार देने के गुर सिखाए जाएंगे, जिससे मरीज की हालत अस्पताल पहुंचने से पहले ही स्थिर की जा सकेगी। अभी तक देखा जाता रहा है कि ऐसे गंभीर मरीजों को जब तक अस्पताल पहुंचाया जाता है, तब तक उनकी हालत बिगड़ चुकी होती है। अस्पताल पहुंचने के बाद डॉक्टरों को उन्हें स्टेबल करने में करीब आधा घंटा लगता है।लेकिन अब एंबुलेंस में ही सीपीआर, ऑक्सीजन, सर्पदंश के मामले में एंटी-वेनम, जहर के मामलों में शुरुआती इलाज जैसे उपाय तुरंत शुरू हो सकेंगे।
मास्टर ट्रेनिंग में आईजीएमसी शिमला, मंडी, टांडा, हमीरपुर और चंबा मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों व नर्सिंग अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया गया है। अब ये मास्टर ट्रेनर अपने-अपने जिलों में तैनात 108 एंबुलेंस कर्मियों को ट्रेंड करेंगे। ट्रेनिंग में मुख्य रूप से हार्ट अटैक, ब्रेन स्ट्रोक, जलने, डूबने, सर्पदंश और जहर जैसी आपातकालीन स्थितियों को शामिल किया गया है। इन मामलों में समय रहते उपचार न मिले तो मरीज की जान जाना तय मानी जाती है।एम्स बिलासपुर की यह पहल हिमाचल जैसे पहाड़ी राज्य में एक मॉडल स्वास्थ्य समाधान के रूप में देखी जा रही है। दूरदराज के क्षेत्रों में अब एंबुलेंस कर्मी खुद ‘चलती चिकित्सा इकाई’ के रूप में कार्य करेंगे। स्वास्थ्य विभाग इसे चरणबद्ध ढंग से पूरे प्रदेश में लागू करने की योजना बना रहा है।
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