एक निर्माण कार्य में देरी बन जाती है मानसिक पीड़ा
पालमपुर,रिपोर्ट नेहा धीमान
पालमपुर जैसे सुंदर और शांतिपूर्ण शहर में जब कोई छोटी-सी सुविधा भी अधूरी रह जाती है, तो यह सिर्फ एक निर्माण कार्य की देरी नहीं बल्कि एक मानसिक पीड़ा बन जाती है। यह उद्गार व्यक्त करते हुए पालमपुर के पूर्व विधायक प्रवीन कुमार ने कहा शहर के बीचों-बीच स्थित एक छोटा-सा फाउंटेन जो न कोई बहुत बड़ा प्रोजेक्ट था और न ही अत्यधिक खर्च वाला सिर्फ 10% कार्य शेष रह जाने के बावजूद सालों से अधूरा पड़ा है।
पूर्व विधायक ने कहा फाउंटेन न तो तकनीकी रूप से कोई चुनौती है, न ही इसे पूरा करना किसी सरकारी तंत्र की क्षमता से बाहर है। परंतु इसके बावजूद इसे चालू करने की कोई सुध नहीं ली जा रही। शहर वासियों का आरोप है अगर नगर निगम को यदि कुछ करना है तो वह पुरानी टाइलें उखाड़कर नई टाइलें बिछाना , गलत जगहों पर सुलभ शोचालयों का निर्माण कर लाखों रुपयों की धन बर्बादी करना , दर्शकों के बैठने के लिए सीमेंट के बेंच हटाकर पार्किंग स्थल बना देना जबकि पार्किंग के लिए पुरानी सब्जी मण्डी व वस अड्डा प्राधिकरण परिसर में बहुत जगह है । यहाँ गम्भीरता के साथ क्यों प्रयास नहीं किये जाते।पूर्व विधायक ने कहा जनता की भावनाओं और सुविधाओं से जुड़ी चीज़ों के लिए समय और राजनैतिक इच्छा शक्ति दोनों का अभाव है। प्रवीन कुमार ने कहा यह फाउंटेन एक संभावित पर्यटन स्थल बन सकता है।
परिणामस्वरूप लोग शाम के समय अपने बच्चों के साथ यहां कुछ पल सुकून के बिता सकते हैं । ठीक वैसे ही, जैसे कभी विक्रम बत्रा ग्राउंड के किनारे व सामने बैठ कर खेल गतिविधियों का आनंद लिया करते थे। लेकिन वह स्थान भी अब इतिहास बन चुका है । वहां देवदार के पौधे उखाड़ दिए गये , बेंचें हटाई गईं और यहाँ एक नन्ही सी पार्किंग ने जन्म ले लिया।पूर्व विधायक ने कहा अब सवाल यह उठता है कि क्या फाउंटेन का हाल भी वैसा ही होगा ? क्या कल को यह जगह भी पार्किंग में तब्दील कर दी जाएगी ? क्या सीताराम पार्क को भी धीरे-धीरे आगे खिसका कर पार्किंग में तब्दील कर दिया जाएगा ? शहर वासियों का आरोप है कि कहीं न कहीं एक साजिश चल रही है , एक ऐसी योजना जिसमें शहर की हर खूबसूरत व सार्वजनिक जगह को खत्म कर दिया जाए और उसे "सुविधा" के नाम पर सीमेंट की कब्रगाह में बदल दिया जाए। यह चिंता तब और बढ़ जाती है जब देखा जाता है कि फालतू प्रोजेक्टस में फुर्ती है लेकिन जनभावनाओं से जुड़े कार्यों में ठंडापन।पूर्व विधायक ने कहा नगर निगम के खिलाफ लोगों में बढ़ता गुस्सा कोई छिपी बात नहीं है।
यह गुस्सा फिलहाल शांत है, परंतु चुनाव के समय फूटेगा जरूर। यह सब केवल प्रशासनिक उदासीनता नहीं है, बल्कि लगता है कोई राजनीतिक या निजी रंजिश भी इसमें भूमिका निभा रही है परन्तु रंजिशों की कीमत जनता क्यों चुकाए? उन्होने ने कहा पालमपुर के लोग अब सवाल पूछ रहे हैं। क्यों नहीं पूरा हो पा रहा यह फाउंटेन? क्यों हर सार्वजनिक स्थान को धीरे-धीरे पार्किंग में बदला जा रहा है? क्या शहर की सुंदरता, लोगों की भावनाएं और बच्चों की मुस्कानें अब नगर निगम की प्राथमिकता नहीं रहीं? इसी के साथ पूर्व विधायक ने कहा बतौर विधायक उन्होंने आई पी एच रेस्ट हाउस के नीचे सडक के किनारे टूरिस्ट रिसेप्सन सेन्टर ( पर्यटक स्वागत एवं सुविधा कक्ष ) की आधारशिला रखी थी अव शहर में प्रवेश करते ही प्रशासन , नगर निगम व सड़क निर्माण विभाग की वेरूखी अर्थात नालायकी ने इस जगह की खूबसूरती को बिगाड़ करके रख दिया है।
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