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जिले में भारी बारिश से जल शक्ति विभाग की 87 योजनाएं प्रभावित

                              अधिकारी बोले, साइटों पर डटे हैं कर्मचारी, लोगों को नहीं होगी परेशानी

बिलासपुर,ब्यूरो रिपोर्ट 

 जिले में पिछले दो दिन लगातार हुई भारी बारिश से जल शक्ति विभाग और लोक निर्माण विभाग को बड़ी चपत लगी है। जल शक्ति विभाग कि इस बारिश से कुल 87 योजनाएं प्रभावित हुई हैं। इनमें पीने के पानी, सिंचाई और सीवरेज की योजनाएं शामिल हैं। वहीं लोक निर्माण विभाग को भी इस बारिश से करीब ढाई करोड़ का नुकसान हुआ है।

जिले में पीने के पानी की कुल 288 पेयजल योजनाएं हैं, जिनमें से अब तक 79 प्रभावित हुई हैं। इसके अलावा सिंचाई की 76 योजनाएं हैं, इनमें से सात सिंचाई की योजनाएं प्रभावित हुई हैं। वहीं सीवरेज की एक योजना प्रभावित है। विभाग उन्हें बहाल करने में जुटा है। सोमवार सुबह जकातखाना में फोरलेन पर पहाड़ी से भूस्खलन भी हुआ था, जिसकी वजह से यातायात भी एक तरफा रहा। लेकिन कुछ समय बाद इसे सुचारू कर दिया गया। वहीं जिले में कई संपर्क सड़कें बाधित हुईं। लोक निर्माण विभाग ने मौके पर मशीनरी भेजकर उन्हें साफ कराया। बताते चलें कि घुमारवीं उपमंडल में सीर खड्ड में बाढ़ के कारण खड्ड के किनारे बसे सैकड़ों लोगों की उपजाऊ व रिहायशी भूमि को भी नुकसान पहुंचा है। कई पंचायतों के ग्रामीणों को अपने घरों की सुरक्षा को लेकर चिंता सताने लगी है क्योंकि इस बाढ़ से काफी भूमि कटान हुआ है । हर बार की तरह इस बार भी सबसे बड़ी मार जल शक्ति विभाग की पेयजल योजनाओं पर पड़ी है।

विभाग के अनुसार खड्ड पर आधारित घुमारवीं खंड के अंतर्गत कुल 62 पेयजल योजनाएं संचालित की जा रही थीं। रविवार रात को आई बाढ़ की वजह से इनमें से करीब 10 योजनाएं पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई हैं। कई अन्य योजनाओं को आंशिक नुकसान पहुंचा है। खड्ड के उफनते पानी ने आसपास के खेतों को भी नहीं बख्शा। सैकड़ों बीघा उपजाऊ और सिंचित भूमि इस बाढ़ की भेंट चढ़ चुकी है। किसानों की खड़ी फसलें और खेतों में लगी सिंचाई संरचनाएं पूरी तरह नष्ट हो गई हैं जिससे उन्हें भारी आर्थिक क्षति उठानी पड़ रही है। स्थानीय लोगों ने सरकार व प्रशासन से मांग की है कि सीर खड्ड के किनारे तटीकरण कार्य को प्राथमिकता दी जाए और इस प्राकृतिक आपदा को रोकने के लिए स्थायी समाधान निकाला जाए। लोगों का कहना है कि हर साल ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है, लेकिन प्रशासन की ओर से अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।



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