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JOA भर्ती में देरी पर हिमाचल सरकार को हाईकोर्ट की कड़ी फटकार

                                      नियुक्ति प्रक्रिया समय पर पूरी न होने पर अदालत ने जताई नाराज़गी

शिमला,ब्यूरो रिपोर्ट 

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने शिक्षा विभाग में जूनियर ऑफिस असिस्टेंट (लाइब्रेरी) के पदों को भरने में हो रही पर देरी को लेकर राज्य सरकार को फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा कि स्पष्ट निर्देश दिए जाने के बावजूद राज्य ने लगातार टालमटोल की नीति अपनाई है।मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावालिया और न्यायाधीश जियालाल भारद्वाज की खंडपीठ ने कहा कि रिकॉर्ड से पता चलता है की कि राज्य लगातार अपने पैर खींच रहा है, जिसके कारण बड़ी संख्या में खाली पद राज्य की शिक्षा व्यवस्था को और खराब कर सकते हैं। अदालत ने राज्य सरकार को शिक्षा सचिव की ओर से ताजा स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने के आदेश दिए। कहा कि रिपोर्ट में बताया जाए कि पदों को भरने के लिए आवश्यक कदम क्यों नहीं उठाए जा रहे हैं और भर्ती प्रक्रिया को अंजाम तक पहुंचाने के लिए क्या योजना है।

 मामले की अगली सुनवाई 31 दिसंबर को होगी।कोर्ट ने 15 मई 2023 को निर्देश दिए थे कि जूनियर ऑफिस असिस्टेंट और लाइब्रेरियन के नए कैडर के लिए भर्ती और पदोन्नति नियमों को छह महीने के भीतर अंतिम रूप दिया जाए, ताकि सहायक लाइब्रेरियन के परिवर्तित रिक्त पदों को जूनियर ऑफिस असिस्टेंट (लाइब्रेरी) के रूप में भरा जा सके। ढाई साल बीत चुके हैं, लेकिन राज्य ने अभी तक भर्ती प्रक्रिया को उसके तार्किक अंत तक नहीं पहुंचाया है। कुल 771 पदों को चरणबद्ध तरीके से भरने का प्रयास किया जाना था। 235 रिक्त पदों को भरने की सरकारी अनुमति भी मिली हुई है।इसको लेकर वित्त विभाग ने 3 मई 2024 को शिक्षा विभाग में 400 जूनियर ऑफिस असिस्टेंट (लाइब्रेरी) के पदों को भरने के लिए सहमति दी थी। पहले चरण में 100 स्कूलों में जेओए (लाइब्रेरी) की नियुक्ति का निर्णय लिया गया। स्कूल शिक्षा निदेशक को 26 मई 2025 को निर्देश दिए गए थे। 78 पदों के लिए हिमाचल प्रदेश राज्य चयन आयोग को 2 जुलाई 2025 को मांगपत्र भेजा गया। आयोग ने 19 जुलाई को मांगपत्र को यह कहते हुए वापस कर दिया कि भर्ती निदेशालय के माध्यम से होनी चाहिए।हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने आदेश की अवमानना करने और व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में अधिकारी की गैरहाजिरी पर कड़ा रुख अपनाया है। अदालत ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि अवमाननाकर्ता लोक निर्माण विभाग के प्रधान सचिव अभिषेक जैन अगली सुनवाई को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में उपस्थित नहीं हुए, तो उनके खिलाफ कोर्ट जमानती वारंट जारी करेगा।

न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की अदालत ने अभिषेक को 21 नवंबर को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का आदेश दिया था, लेकिन वह पेश नहीं हुए। कोर्ट ने कहा कि अधिकारी का अनुपस्थित रहना अवमानना को और अधिक बढ़ाता है। मामला अब 1 दिसंबर के लिए सूचीबद्ध किया गया है। हाईकोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान अवमानना याचिका के एक मामले में अभिषेक के आचरण पर गंभीर आपत्ति व्यक्त करते हुए अधिकारी को व्यक्तिगत रूप से अदालत में उपस्थित होने के निर्देश दिए हैं।अदालत ने कहा था कि अधिकारी को यह स्पष्टीकरण देना होगा कि न्यायालय के आदेश की जानबूझकर अवहेलना के लिए क्यों उन्हें दंडित न किया जाए। यह अवमानना याचिका इलेक्ट्रिकल इंप्लाइज एसोसिएशन की ओर से वित्तीय लाभों को लेकर दायर की है। खंडपीठ ने 9 दिसंबर 2024 को पारित आदेश का अनुपालन आदेश इंजीनियर-इन-चीफ की ओर से पारित किया था, जबकि इसे संबंधित सचिव काे पारित किया जाना आवश्यक था। न्यायालय ने कहा था कि संबंधित प्राधिकरण को याचिकाकर्ताओं को सुनवाई का अवसर देना आवश्यक था, जैसा कि एलपीए के आदेश में कहा गया था। बार-बार अनुरोध के बावजूद यह अवसर याचिकाकर्ताओं को नहीं दिया गया।


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