आईएएस-आईपीएस अफसर पढ़ेंगे कौशल विकास का पाठ
शिमला,ब्यूरो रिपोर्ट
हिमाचल प्रदेश सरकार में कार्यरत अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों को कौशल विकास का पाठ पढ़ाया जाएगा। भविष्य की प्रशासनिक चुनौतियों से निपटने और आधुनिक शासन प्रणाली के अनुरूप दक्ष बनाने के उद्देश्य से आईएएस, आईपीएस और आईएफएस अधिकारियों को 'कर्मयोगी' प्लेटफॉर्म पर वार्षिक शिक्षण पाठ्यक्रम पूरा करना अनिवार्य कर दिया गया है।
सिविल सेवकों को निरंतर सीखने और विकसित होने के लिए प्रोत्साहित करने को यह फैसला लिया गया है।अधिकारियों की वार्षिक निष्पादन मूल्यांकन रिपोर्ट में भी पाठ्यक्रम पूरा करने का उल्लेख किया जाएगा। अगर कोई अधिकारी यह पाठ्यक्रम पूरा नहीं करता है, तो उसकी एपीएआर में इसका नकारात्मक असर पड़ सकता है। हिमाचल कार्मिक विभाग ने बुधवार को कार्यालय आदेश जारी कर अधिकारियों को नई व्यवस्था से अवगत करा दिया है। कार्मिक विभाग के अनुसार यह शिक्षण पाठ्यक्रम न केवल अधिकारियों के प्रशासनिक कौशल को निखारेगा, बल्कि बदलती तकनीकी और सामाजिक जरूरतों के अनुरूप उन्हें तैयार भी करेगा। यह कोर्स अब वार्षिक निष्पादन मूल्यांकन रिपोर्ट (एपीएआर) का भी हिस्सा होगा, जिससे इसकी गंभीरता और जवाबदेही और बढ़ जाएगी।
सरकार का मानना है कि यह कदम सिविल सेवा को और अधिक प्रभावशाली, उत्तरदायी तथा तकनीकी रूप से सक्षम बनाएगा। अब आईएएस-आईपीएस और आईएफएस अफसरों को शासन व्यवस्था में बदलाव लाने से पहले खुद को भी लगातार अपडेट रखना होगा। इस नई व्यवस्था से न केवल सरकारी तंत्र में पेशेवरता बढ़ेगी, बल्कि जनता को भी बेहतर और अधिक उत्तरदायी प्रशासन मिलने की उम्मीद जताई गई है।विभागीय अधिकारियों ने बताया कि कार्यकुशलता, नेतृत्व क्षमता, नैतिक मूल्यों और बदलती वैश्विक आवश्यकताओं के अनुरूप निरंतर कौशल विकास को प्राथमिकता दी जा रही है। इसी क्रम में केंद्र सरकार की ओर से विकसित ‘कर्मयोगी’ प्लेटफॉर्म पर वार्षिक शिक्षण पाठ्यक्रम को अब अनिवार्य कर दिया गया है। निर्धारित पाठ्यक्रमों की पूर्णता स्थिति अब 2025-26 की रिपोर्टिंग अवधि (अर्थात 2026-27 का एपीएआर चक्र) से शुरू होकर सरकारी कर्मचारियों की वार्षिक निष्पादन मूल्यांकन रिपोर्ट में औपचारिक रूप से एकीकृत की जाएगी।
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