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कर्मी की जन्मतिथि बदलने की याचिका खारिज:कोर्ट

                                                                दायर करने में 26 साल की देरी

शिमला,ब्यूरो रिपोर्ट 

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने एक सरकारी कर्मचारी की ओर से अपनी सेवा पुस्तिका में जन्मतिथि बदलने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया है। न्यायाधीश सत्येन वैद्य की एकल पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता ने 2015 से पहले अपने नियोक्ता को जन्मतिथि सुधारने के लिए कोई प्रस्तुति नहीं दी, जिसका अर्थ है कि उन्होंने सेवा में शामिल होने के 26 साल बाद जो अनुरोध किया, उसे 26 साल की अत्याधिक देरी से आवेदन को खारिज कर दिया है। 

अदालत ने अपने फैसले में दोहराया कि सरकारी कर्मचारियों को सेवा नियमों में निर्धारित अवधि के भीतर जन्मतिथि में सुधार के लिए आवेदन करना अनिवार्य है। हिमाचल प्रदेश वित्तीय खंड 1 के नियम 7.1 के तहत यह अवधि 2 साल और मौलिक नियम 56 के नोट के अनुसार पांच साल है।याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट से अपनी सेवा पुस्तिका में जन्मतिथि को 28 जुलाई 1967 के बजाय 25 जुलाई 1968 की मांग की थी। याचिकाकर्ता 1989 में शिक्षा विभाग में क्लर्क के रूप में नियुक्त किया गया था। दसवीं के सर्टिफिकेट में भी इनकी जन्म तिथि 28 जुलाई 1967 दर्ज की गई है। याचिकाकर्ता को 2003 में पता चला कि उनकी सही उम्र 35 साल है और ग्राम पंचायत के रिकॉर्ड में उनकी जन्म तिथि 25 जुलाई 1968 दर्ज है। उन्होंने अदालत को बताया कि सरकारी प्राथमिक विद्यालय में उनकी जन्म तिथि उनकी अशिक्षित मां के मौखिक ज्ञान के आधार पर गलत दर्ज की गई थी। 

याचिकाकर्ता ने 2003 में हिमाचल प्रदेश शिक्षा बोर्ड से अपने दसवीं के प्रमाणपत्र में जन्म तिथि सुधारने के लिए आवेदन किया, लेकिन उनका 1 आवेदन खारिज हो गया।उसके बाद उन्होंने तत्कालीन हिमाचल प्रदेश राज्य प्रशासनिक न्यायाधिकरण में एक मूल आवेदन दायर किया, लेकिन सचिव ने भी इनके आवेदन को खारिज कर दिया। बाद में याचिकाकर्ता ने सिविल जज घुमारवीं जिला बिलासपुर की अदालत में प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड के खिलाफ एक सिविल मुकदमा दायर किया। वर्ष 2014 में सिविल कोर्ट ने याचिकाकर्ता के पक्ष में फैसला सुनाया कि उनकी सही जन्मतिथि 25 जुलाई 1968 है। कोर्ट के फैसले के आधार पर बोर्ड ने दसवीं के प्रमाण पत्र में जन्मतिथि सुधार दी। इसके बाद 2015 में याचिकाकर्ता ने इस सुधरे हुए प्रमाणपत्र के आधार पर अपने नियोक्ता यानी राज्य सरकार से सेवा पुस्तिका में जन्मतिथि बदलने के लिए आवेदन किया। लेकिन राज्य सरकार ने 14 मई 2018 को याचिकाकर्ता वसु देव शर्मा के अनुरोध को खारिज कर दिया। इसी पर हिमाचल हाईकोर्ट ने यह फैसला दिया है।


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