राष्ट्र विरोधी वीडियो साझा करने पर गिरफ्तार व्यक्ति को सशर्त जमानत
शिमला,ब्यूरो रिपोर्ट
राष्ट्र विरोधी, सेना विरोधी, हिंदू विरोधी और प्रधानमंत्री विरोधी वीडियो साझा करने के आरोप में गिरफ्तार व्यक्ति को हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने सशर्त जमानत दे दी। न्यायाधीश राकेश कैंथला की अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद पाया कि याचिकाकर्ता ने किसी व्यक्ति को हिंसा के लिए नहीं उकसाया है।
न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्ता को हिरासत में रखने की आवश्यकता नहीं है। खासकर जब इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का विश्लेषण लंबित है।एकल पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता को अनिश्चितकाल तक सलाखों के पीछे नहीं रखा जा सकता। याचिकाकर्ता को 9 मई 2024 को गिरफ्तार किया गया था। पुलिस ने इस पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 152 और 196 के 197 के तहत मामला दर्ज किया था। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि उस पर लगाए गए आरोप झूठे और बेबुनियाद हैं। उसकी अपराध में कोई भूमिका नहीं है। पुलिस की जांच पूरी हो चुकी है और इसलिए उसकी हिरासत में अब कोई आवश्यकता नहीं है।हालांकि राज्य ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए एक स्थिति रिपोर्ट दाखिल की, जिसमें कहा गया कि याचिकाकर्ता ने ऐसे वीडियो साझा किए थे, जिनसे आम लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं।
इन वीडियो में कथित तौर पर भारत की संप्रभुता और अखंडता को प्रभावित करने वाली अपमानजनक टिप्पणी शामिल थी। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि एक वीडियो में एक पाकिस्तानी नागरिक भारतीय प्रधानमंत्री के बारे में अपमानजनक टिप्पणी कर रहा था और एक अन्य वीडियो में एक पाकिस्तानी समाचार चैनल के एक रिपोर्टर को भारतीय सैनिक के बारे में अपमानजनक टिप्पणी करते हुए दिखाया गया था।पुलिस ने याचिकाकर्ता का मोबाइल फोन जब्त कर लिया था और जांच के लिए भेजा। जांच के दौरान पता चला कि याचिकाकर्ता ने फेसबुक पोस्ट के माध्यम से वीडियो साझा किए थे। रिपोर्ट में बताया गया कि याचिकाकर्ता के खिलाफ पहले भी एफआईआर दर्ज की गई है, जिसमें उसे दोषी ठहराया गया था और एक अन्य एफआईआर 2021 की भी लंबित है। इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस को विश्लेषण के लिए आरएफएलसी धर्मशाला भेजा गया है, जिसकी रिपोर्ट आना अभी बाकी है।
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